उत्तरी दिल्ली में स्थित भलस्वा लैंडफिल स्टेशन (Bhalswa Landfill Station) पर शुक्रवार को आग लग गई, जिसका धुआं लोगों के घरों में घुसने लगा और लैंडफिलिंग साइट के आसपास रहने वाले लोग अपना घर छोड़कर बाहर भागने लगे. लोगों को सांस लेने में परेशानी और आंखों में जलन होने लगी. दमा के मरीजों को अस्पताल तक ले जाना पड़ा. इसके बाद एक बार फिर भलस्वा लैंडफिलिंग स्टेशन का कोई स्थायी समाधान खोजने के लिए लोगों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है.
लैंडफिलिंग स्टेशन के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है यहां फैली बदबू से उनके परिवार के लोग बीमार पड़ रहे हैं. लोगों को पेट की बीमारी, सिर सर्द, सांस लेने में परेशानी और उल्टी दस्त जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. जितना वो लोग कमाते हैं सारा पैसा अस्पताल और डॉक्टरों को दे देते हैं. उम्र से पहले ही लोग बूढ़े दिखने लगते हैं.
20 साल से समस्या का कर रहे हैं सामना
भलस्वा लैंडफिलिंग स्टेशन के पास रहने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि हम 20 साल से इस इलाके में रह रहे हैं. यहां फैली बदबू के कारण रात में सो तक नहीं पाते. अप्रैल से जून तक के महीने में यह समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो जाती है. रात में कमरे में दुर्गंध भर जाती है, जिससे खाना खाना भी मुश्किल हो जाता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने भी कूड़े के ढेर को खत्म करने की बात कह चुके हैं फिर कुछ नहीं हो रहा है.
भलस्वा लैंडफिल साइट पर कितना कूड़ा निकलता है?
उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के अधिकारियों ने अक्टूबर 2021 में बताया कि भलस्वा लैंडफिल स्थल पर 60 लाख टन कूड़ा पड़ा हुआ. इसका प्रसंस्करण जून 2022 के अंत तक करना तय किया गया है.
प्रदूषण के चलते दिल्ली में 9.5 साल कम हो गई है उम्र
पर्यावरणविद् विमलेन्दु झा ने कहा कि वायु प्रदूषण के चलते हर साल भारत में 15 लाख लोगों की मौत हो जाती है. रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोग वायु प्रदूषण के चलते अपने जावन के 9.5 साल खो देते हैं. वहीं लंग केयर फाउंडेशन का कहना है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण हर तीसरा बच्चा अस्थमा का शिकार हो रहा है.
कुतुब मीनार की ऊंचाई की छू रहा कूडे की पहाड़
राजधानी दिल्ली में तीन बड़े लैंडफिलिंग स्टेशन हैं, जिनमें गाजीपुर, ओखला और भलस्वा लैंडफिलिंग स्टेशन प्रमुखे है. साल 2019 में गाजीपुर के लैंडफिल की ऊंचाई 65 मीटर थी, जो कुतुब मीनार से केवल आठ मीटर कम थी. वहीं साल 2017 में इस लैंडफिल का एक हिस्सा सड़क पर गिर गया था जिससे दो लोगों की मौत हो गई थी.
राजधानी में कितना कूड़ा निकलता है ?
नगर निकाय अधिकारियों की मानें तो शहर में कुल 11,400 टन कूड़ा निकलता है. इसमें से करीब 6,200 टन गाजीपुर, ओखला और भलस्वा के लैंडफिल में फेंका जाता है. बाकी 5,200 टन कूड़े को कम्पैक्टर और कचरे को ऊर्जा में परिवर्तित करने वाले संयंत्रों (डब्ल्यूटीई) की सहायता से स्थानीय स्तर पर प्रोसेस किया जाता है.
Video : भलस्वा लैंडफिल साइट मामले में नॉर्थ एमसीडी पर 50 लाख का जुर्माना
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