प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
बेंगलूरु देश का पहला शहर होगा जहां पासपोर्ट के लिए पुलिस ऑनलाइन वेरीफिकेशन करेगी। शहर में इस परियोजना की शुरुआत नवंबर से होगी और इसके बाद पूरे देश में इसकी शुरुआत की जाएगी। इससे पासपोर्ट जारी करने में इस समय लगने वाले एक महीने के समय को महज एक हफ्ते में पूरा करने में मदद मिलेगी।
गृह मंत्रालय एक परियोजना पर काम कर रहा है, जिसके तहत जिला पुलिस प्रमुख (पुलिस अधीक्षक या पुलिस उपायुक्त) को आवेदक की पहचान, उसके पते और आपराधिक रिकॉर्ड (अगर हो तो) के ऑनलाइन सत्यापन के लिए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर), आधार और अपराध आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क प्रणाली (सीसीटीएनएस) का डेटाबेस उपलब्ध कराया जाएगा।
पुलिस अधिकारी एनपीआर में आवेदक के बायोमेट्रिक डेटा, तस्वीर और पते, आधार डेटा के साथ मेल करेंगे और सीसीटीएनएस में पूर्ववर्ती अपराध की जांच करेंगे। सीसीटीएनएस अपराध एवं आपराधियों का एक डेटाबेस है, जो देश भर के करीब 14,000 पुलिस थानों को जोड़ता है।
इस परियोजना की शुरुआत बेंगलूरू से की जाएगी, क्योंकि कर्नाटक में पुलिस आईटी नाम वाला मजबूत पुलिस डेटाबेस है। यह परियोजना पूरे देश में विदेश मंत्रालय के डेटाबेस को गृह मंत्रालय के सीसीटीएनएस से जोड़ने की एक व्यापक योजना का हिस्सा है।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'जब प्रणाली आखिरकार आ जाएगी तो हमें उम्मीद है कि वर्तमान में अधिकतर जगहों पर लगने वाले एक महीने के समय की तुलना में पुलिस सत्यापन में एक हफ्ते से भी कम का समय लगेगा।'
गृह मंत्रालय एक परियोजना पर काम कर रहा है, जिसके तहत जिला पुलिस प्रमुख (पुलिस अधीक्षक या पुलिस उपायुक्त) को आवेदक की पहचान, उसके पते और आपराधिक रिकॉर्ड (अगर हो तो) के ऑनलाइन सत्यापन के लिए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर), आधार और अपराध आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क प्रणाली (सीसीटीएनएस) का डेटाबेस उपलब्ध कराया जाएगा।
पुलिस अधिकारी एनपीआर में आवेदक के बायोमेट्रिक डेटा, तस्वीर और पते, आधार डेटा के साथ मेल करेंगे और सीसीटीएनएस में पूर्ववर्ती अपराध की जांच करेंगे। सीसीटीएनएस अपराध एवं आपराधियों का एक डेटाबेस है, जो देश भर के करीब 14,000 पुलिस थानों को जोड़ता है।
इस परियोजना की शुरुआत बेंगलूरू से की जाएगी, क्योंकि कर्नाटक में पुलिस आईटी नाम वाला मजबूत पुलिस डेटाबेस है। यह परियोजना पूरे देश में विदेश मंत्रालय के डेटाबेस को गृह मंत्रालय के सीसीटीएनएस से जोड़ने की एक व्यापक योजना का हिस्सा है।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'जब प्रणाली आखिरकार आ जाएगी तो हमें उम्मीद है कि वर्तमान में अधिकतर जगहों पर लगने वाले एक महीने के समय की तुलना में पुलिस सत्यापन में एक हफ्ते से भी कम का समय लगेगा।'
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