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This Article is From Jun 04, 2015

‘छिपे भेड़ियों’ की सरकारी सेवा में जगह नहीं, दिल्‍ली हाई कोर्ट की सख्‍त टिप्‍पणी

‘छिपे भेड़ियों’ की सरकारी सेवा में जगह नहीं, दिल्‍ली हाई कोर्ट की सख्‍त टिप्‍पणी
नई दिल्‍ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक सरकारी कर्मचारी के खिलाफ कठोर टिप्पणियां करते हुए कहा है कि सरकारी सेवा में ‘छिपे भेड़ियों’ की जगह नहीं है। अदालत ने एक महिला चपरासी के परिवार की दो महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने के लिए डिमोट किए गए अधिकारी की याचिका को खारिज करते हुए ये टिप्पणियां की।

इस याचिका में अधिकारी ने डिमोशन को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर और न्यायमूर्ति आई.एस. मेहता की पीठ ने कहा, ‘यह केवल कार्यस्थल पर एक महिला के यौन उत्पीड़न का मामला नहीं है बल्कि यह बुरे आचरण या ऐसे आचरण का मामला है जो सरकारी सेवक के लिए ठीक नहीं है।’

पीठ ने कहा, ‘उच्च नैतिकता और ईमानदारी वाले लोगों को ही लोक सेवा में आना चाहिए न कि छिपे भेड़ियों को।’ साथ ही अदालत ने सरकारी सेवक एस.के. जसरा पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

रक्षा मंत्रालय के वेतन, पेंशन और नियमन निदेशालय में कार्यरत जसरा का रैंक 2012 में संयुक्त निदेशक पद से घटा कर उपनिदेशक कर दिया गया था। उन्हें एक विधवा चपरासी की बेटी और बहू का उत्पीड़न करने के आरोप में पदावनत किया गया था। जसरा ने अपनी याचिका में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के निर्णय को चुनौती दी थी जिसने उन पर लगाई गई सजा बरकरार रखी थी।

जसरा का तर्क था कि उन्हें कोई सजा नहीं दी जा सकती क्योंकि कथित आचरण आधिकारिक ड्यूटी के दौरान नहीं किया गया था। पीठ ने कहा कि उनका आचरण ‘सरकारी सेवक के लिए यथोचित व्यवहार नहीं होने’ का स्पष्ट मामला है और लोक सेवक को ‘हमेशा चाहे वह पेशेवर ढांचे में हो या नहीं, ऐसा व्यवहार करना चाहिए जो अनुशासन के खिलाफ नहीं हो।’

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