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This Article is From Mar 19, 2013

चर्चा के बाद दुष्कर्म रोधी विधेयक पर लोकसभा की मुहर

नई दिल्ली: लोकसभा ने मंगलवार को पेश दुष्कर्म रोधी विधेयक पर चर्चा के बाद अपनी मुहर लगा दी। विधेयक को अब राज्यसभा में पेश किया जाएगा जहां से पारित होने के बाद यह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा जारी अध्यादेश की जगह नए कानून का रूप ले लेगा।

विधेयक में जहां सहमति से यौन संबंध के लिए न्यूनतम उम्र 18 वर्ष रखी गई है, वहीं घूरने और पीछा करने को दंडनीय अपराध के दायरे में लाया गया है।

केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने मंगलवार को लोकसभा में आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2013 पेश किया। इस विधेयक को सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी।

विधेयक के कुछ प्रावधानों पर मतभेद होने के कारण पहले सरकार में मंत्रियों के समूह और उसके बाद सर्वदलीय बैठक में गहन चर्चा हुई।

दोनों सदनों से पारित होने के बाद विधेयक राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा 3 फरवरी को जारी अध्यादेश की जगह लेगा। संसद से 4 अप्रैल से पहले विधेयक पर मंजूरी लेना आवश्यक है, क्योंकि इसके बाद अध्यादेश निष्प्रभावी हो जाएगा।

दिल्ली में पिछले साल 16 दिसंबर को चलती बस में एक युवती के साथ हुए क्रूरतम सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के लिए कड़े दंड का प्रावधान किए जाने की मांग उठी थी जिसे देखते हुए सरकार ने यह विधेयक पेश किया है। दुष्कर्म पीड़िता की मौत बाद में सिंगापुर के एक अस्पताल में हो गई थी।

विधेयक पर चर्चा के दौरान लोकसभा सदस्यों ने सहमति की उम्र कम किए जाने के प्रस्ताव पर व्यक्त किए गए विचारों में प्रावधान का दुरुपयोग रोकने की जरूरत पर जोर दिया।

राजनीतिक दबाव के आगे झुकते हुए सरकार ने विधेयक में यौन संबंधों के लिए सहमति की उम्र 18 साल ही रहने दिया है। विधेयक में पहले सहमति से यौन संबंध की उम्र घटाकर 16 वर्ष करने का प्रस्ताव किया गया था।

शिंदे ने यौन संबंधों के लिए सहमति की उम्र 18 वर्ष रखे जाने के पक्ष में कहा कि पहले उम्र सीमा 16 वर्ष रखी गई थी, लेकिन राजनीतिक दलों के सुझाव पर इसे 18 वर्ष ही रहने दिया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की ओर से जारी अध्यादेश में भी सहमति के लिए उम्र सीमा 18 वर्ष ही है।

चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के सदस्य संदीप दीक्षित ने सहमति के लिए 18 वर्ष की उम्र सीमा निर्धारित किए जाने पर सवाल किया, "यदि 16 वर्ष और 18 वर्ष की एक लड़की और लड़के ने शारीरिक संबंध बनाए तो क्या उन्हें अपराधी माना जाएगा?"

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्य सुमित्रा महाजन ने सहमति की उम्र 18 वर्ष रखे जाने का समर्थन किया, लेकिन यह भी उल्लेख किया कि विधेयक के प्रावधान का दुरुपयोग रोकने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।

समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्य शैलेंद्र कुमार ने विधेयक का समर्थन किया, लेकिन कहा कि इसके प्रावधानों का दुरुपयोग रोकने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विधेयक के प्रावधानों के कारण महिला कर्मचारियों को नियुक्त करने में नियोक्ताओं के रवैए में बदलाव आ सकता है।

जनता दल-यूनाइटेट (जद-यू) के नेता शरद यादव ने कहा कि विधेयक के प्रावधानों के कारण महिलाओं को नौकरी हासिल करने में मुश्किल होगी।

अपने अल्पकालिक हस्तक्षेप में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने कहा कि यदि वे कहना चाहेंगे तो यही कहेंगे कि इस विधेयक की कोई जरूरत ही नहीं है।

तृणमूल के कल्याण बनर्जी ने कहा कि लोगों को विधेयक के प्रावधानों के बारे में जागरूक किया जाना जरूरी है।

बहुजन समाज पार्टी के सदस्य दारा सिंह चौहान ने विधेयक का समर्थन किया, जबकि मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अनिरुद्ध संपत ने कुछ संशोधन की जरूरत पर जोर दिया।

बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्र ने सहमति की उम्र सीमा 16 वर्ष किए जाने की जरूरत बताई और कहा कि 18 वर्ष उम्र तय करना पुलिस प्रताड़ना को बढ़ावा देने वाला होगा।

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