विज्ञापन
This Article is From Apr 10, 2011

अन्ना ने कहा, समिति में भाई-भतीजावाद नहीं

नई दिल्ली: सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने जन लोकपाल विधेयक का प्रारूप तय करने के लिए बनी सामाजिक संगठनों की समिति में भाई-भतीजावाद के योग गुरु बाबा रामदेव के आरोपों को रविवार को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि रामदेव के साथ इस मुद्दे का समाधान कर लिया गया है। इस बीच रामदेव भी अपने पिछले बयान से पलट गए और कहा कि पिता-पुत्र शांति भूषण और प्रशांत भूषण के समिति में होने से उन्हें कोई परेशानी हैं, बल्कि वह किरण बेदी को भी इसमें शामिल करना चाहते थे। रामदेव ने शनिवार को समिति में भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया था। रामदेव ने शनिवार को एक टेलीविजन चैनल से कहा था, "देश की 121 करोड़ आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली सामाजिक संगठनों की पांच सदस्यीय समिति में भाई-भतीजावाद के मुद्दे को लोगों द्वारा उठाए जाने पर मैंने किरण (बेदी) जी से बात की है और अन्ना (हजारे) जी से भी बात करूंगा।" योग गुरु रविवार को हालांकि अपने इस बयान से पलट गए। उन्होंने कहा, "जन लोकपाल विधेयक समिति में मेरी कोई भूमिका नहीं है। मैं समिति में शांति भूषण और प्रशांत भूषण को शामिल करने से नाखुश नहीं हूं। हम अन्ना हजारे में यकीन करते हैं और उन्होंने जो भी निर्णय लिया, वे सही हैं। मैंने केवल यही सलाह दी कि किरण बेदी को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए।" समिति के सम्बंध में अन्ना हजारे ने कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी कानून का प्रारूप तय करने के लिए अनुभवी और कानूनी विशेषज्ञ की आवश्यकता थी। रविवार सुबह उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "समिति स्थाई नहीं है। यह दो महीने के लिए बनी है और हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि यह या वह वहां क्यों है और क्यों नहीं है? कड़े कानून के लिए हमें अनुभवी और कानूनी विशेषज्ञों की जरूरत थी। यही वजह है कि मैं स्वयं भी समिति में शामिल होना नहीं चाहता था, लेकिन उन्होंने कहा कि यदि मैं रहूंगा तो सरकार पर दबाव बनेगा।" वहीं, रामदेव पर पलटवार करते हुए शांति भूषण ने कहा, "अन्ना हजारे ने इसे लोगों की जीत बताई है और बाबा रामदेव भी इसमें शामिल हैं। प्रारूप समिति के बारे में वह क्या समझते हैं.. वह उसमें नहीं हो सकते, क्योंकि वहां कानूनी विशेषज्ञों की आवश्यकता है, योग गुरु की नहीं।" किरण बेदी ने कहा, "यह बेहतर टीम है, जो सरकार के साथ लड़ सकती है और कानून की पेचीदगियों को समझती है।" समिति के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि शांति भूषण और प्रशांत भूषण जन लोकपाल विधेयक के पहले प्रारूप का हिस्सा थे, जिसे उन्होंने तैयार किया। वे विधेयक के सार को समझते हैं, इसलिए स्वाभाविक रूप से इसका हिस्सा हैं।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
अन्ना, समिति, भाई-भतीजावाद
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com