नाराज मौलाना सलमान नदवी अयोध्या समझौते से अलग हुए, जानिये क्या है कारण...

श्री श्री रविशंकर के एक करीबी अमरनाथ मिश्रा ने इल्जाम लगाया था कि मौलाना ने सुलह के बदले 5000 करोड़ रुपये मांगे थे.

नाराज मौलाना सलमान नदवी अयोध्या समझौते से अलग हुए, जानिये क्या है कारण...

मौलाना सलमान नदवी. (फाइल फोटो)

लखनऊ:

अयोध्या में राम मंदिर बनाने की वकालत कर रहे मौलाना सलमान नदवी ने समझौते के बदले रकम लेने के इल्जाम के बाद सुलह से हाथ खीच लिए हैं. अब उनका कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे. श्री श्री रविशंकर के एक करीबी अमरनाथ मिश्रा ने इल्जाम लगाया था कि मौलाना ने सुलह के बदले 5000 करोड़ रुपये मांगे थे.

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जब श्री श्री रविशंकर से मौलाना सलमान नदवी का प्रतिनिधिमंडल मिला तो फिर समझौते की कुछ उम्मीदें बढ़ीं, लेकिन श्री श्री के करीबी अमरनाथ मिश्रा ने इल्जाम लगाया कि मौलाना ने मस्जिद की जमीन के बदले 5000 करोड़ रुपये की मांग की. मिश्रा ने NDTV से कहा कि 'मौलाना नदवी से मैं मिलने इसमी यूनिवर्सिटी नदवा में गया था. जब हम बातचीत के बाद बाहर निकल रहे थे तब वह भी हमारे साथ आये और आने के बाद बोले की आप मोदी जी और योगी जी से बात करिये और हमको राज्यसभा का सदस्य बना दें. हम देश के मुसलमानों को बीजेपी के साथ करेंगे और 200 एकड़ जमीन हमें अयोध्या में योगी जी दे दें. 5000 करोड़ रुपये दिलवा दीजिए हम वहां यूनिवर्सिटी बना लेंगे.' 

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उधर मौलाना सलमान नदवी ने जब मीडिया से कह दिया कि वह अमरनाथ मिश्रा को जानते ही नहीं तो अमरनाथ मिश्रा ने मौलाना के खिलाफ एफआईआर लिखवाने के लिए लखनऊ के हजरतगंज थाने में तहरीर दे दी. मौलाना सलमान नदवी अमरनाथ मिश्रा की बात को 100 फीसद झूठ बताते हैं. वह इससे इतने खफा हुए कि उन्होंने समझौते की बातचीत से हटने का ऐलान कर दिया. मौलाना कहते हैं कि, 'अब हमलोगों ने 14 मार्च तक अपनी सारी मुहिम रोक दी है. हम इंतजार कर रहे हैं कि अदालत 14 मार्च को क्या कहती है और वह फैसला किस तरह करती है.'

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उधर, आर्ट ऑफ लिविंग ने इस मसले पर जारी बयान में कहा कि, 'अगर 5 फरवरी को अमरनाथ मिश्रा से ऐसी कोई बात हुई थी तो उन्होंने इसकी जानकारी हमें नहीं दी. उन्होंने 14 फरवरी को इस बारे में पहले न्यूज चैनल से बात की फिर हमें फोन पर बताया. हम उनकी शिकायत की सच्चाई पता करेंगे. जहां तक मौलाना नदवी से हमारी मुलाकात की बात है, उसमें ऐसी कोई मांग नहीं हुई. लगता है कि कुछ लोग सुलह की कोशिशों को नाकाम और बदनाम करना चाहते हैं.' मौलाना कहते हैं कि राम मंदिर को लेकर अपने स्टैंड पर कायम हैं और अभी भी सुलह के हिमायती हैं.


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