
भारतीय अमेरिकी नोबेल (Nobel) विजेता अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee) ने एनडीटीवी से खास बातचीत की. उन्होंने प्रोफेशनल तरीके से उन लोगों के साथ काम करने की बात पर जोर दिया जिनकी नीतियों को लेकर अलग राय है. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, 'मैं अपनी आर्थिक सोच में पक्षपात नहीं करता. हम राज्य सरकारों के किसी नंबर के साथ काम करते हैं जिनमें से कई बीजेपी (BJP) की सरकारें हैं. हमने गुजरात पॉल्यूशन(कंट्रोल) बोर्ड के साथ काम किया, उस समय गुजरात पीएम मोदी (PM Modi) के हाथ में था. हमारा यह अनुभव बेहद शानदार था. मैं कहूंगा कि वे सबूतों के साथ जुड़ने के लिए तैयार थे और उन्होंने उस अनुभव के साथ नीतियों को लागू किया.'
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लोकसभा चुनावों के दौरान बनर्जी ने कांग्रेस की न्याय योजना को तैयार करने में सहायता प्रदान की थी. इस स्कीम के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने वाले 20 फीसदी परिवारों को सालाना 72 हजार रुपए देने का वादा किया गया था.
बनर्जी ने कहा, 'अगर कांग्रेस की तरह बीजेपी सरकार हमसे पूछती कि एक विशेष आय के तहत लोगों की संख्या क्या थी तो क्या मैंने उन्हें सच नहीं बताया होगा? मैंने उन्हें एक दम सही चीजें बताईं. मैं उतना ही तैयार होता. मैं सभी के साथ प्रोफेशनल रहना चाहता हूं.'
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बनर्जी ने कहा, 'हम ऐसे स्पेशलिस्ट हैं, जिनके पास कहने के लिए कुछ स्पेशल है. हमें किसी भी राज्य में काम करने में कोई समस्या नहीं है. हम गंभीरता और समस्याओं को हल करने की इच्छा को महत्व देते हैं.'
बता दें कि इससे पहले केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को पुणे में संवाददाताओं से कहा, ''मैं अभिजीत बनर्जी को नोबेल पुरस्कार जीतने की बधाई देता हूं. आप सभी जानते हैं कि उनकी सोच पूरी तरह वाम की ओर झुकाव वाली है.'' भाजपा नेता ने कहा कि बनर्जी ने कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित 'न्याय' योजना का समर्थन किया और भारत की जनता ने उनकी सोच को नकार दिया.
वहीं बनर्जी ने एनडीटीवी से कहा कि संस्थान दम तोड़ रहे हैं. यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलाइंस के आखिरी दिनों में सभी संस्थान आक्रामक थे. लंबे समय में यह शायद एक अच्छा विचार था, लेकिन थोड़े समय में बहुत सारे व्यवसायी लोग इसे लेकर परेशान थे. अब क्या होता है कि ये संस्थान मौजूद हैं, लेकिन वे अब निर्णय नहीं लेते हैं.'
गौरतलब है कि इस साल अर्थव्यवस्था का नोबेल पुरस्कार भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी, उनकी फ्रेंच-अमेरिकन पत्नी एस्थर डुफलो और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल क्रेमर को दिया गया है.
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