डॉ. कलाम के पुराने स्कूल में पढ़ाती हैं शकीला
रामेश्वरम:
26 वर्षीय शकीला गणित की टीचर हैं, गणित जो कि पूर्व राष्ट्रपति और देश के 'मिसाइलमैन' डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का भी सबसे प्रिय विषय रहा। शकीला पूर्व राष्ट्रपति के पुराने स्कूल में पढ़ाती हैं और वो जानती थी कि चाहे जितनी भी भीड़ हो, डॉ. कलाम की अंतिम यात्रा में उन्हें श्रद्धांजलि देने जाना ही है।
शकीला ने एनडीटीवी को बताया, 'मुझे गर्व है कि मैं उसी स्कूल में पढ़ाती हूं। उनकी मौत के बाद बच्चे बहुत उदास हुए, लेकिन वो बच्चों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे।'
वह तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्वार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाती हैं जहां डॉ. कलाम ने भी 1946 से 1950 तक पढ़ाई की थी।
डॉ. कलाम को पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके जन्मस्थान रमेश्वरम में सुपुर्दे ख़ाक़ किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और अन्य नेता जैसे कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल हुए।
पूर्व राष्ट्रपति की अंतिम यात्रा में हजारों ऐसे लोग भी शामिल हुए जो उनसे कभी नहीं मिले थे लेकिन उनसे बेहद प्रभावित रहे। ऐसे लोगों में चेन्नई के जी श्रीधर भी हैं जो पेशे से वकील हैं।
श्रीधर ने एनडीटीवी से कहा, 'वो दूसरे महात्मा जैसे थे। एक बार उन्होंने इसरो की किसी असफलता की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली थी जबकि उसके बाद मिली कामयाबी का श्रेय दूसरों को दे दिया था। मैं इससे बहुत प्रभावित हुआ।'
रामेश्वरम के डॉ. कलाम के जाने से कई लोग आंसुओं में डूब गए तो कई लोगों ने कहा कि वो हमेशा जीवित रहेंगे। एक शख्स ने कहा, 'हमलोग एक इंसान को दफन नहीं कर रहे, हम प्रेरणा का एक बीज बो रहे हैं।'
शकीला ने एनडीटीवी को बताया, 'मुझे गर्व है कि मैं उसी स्कूल में पढ़ाती हूं। उनकी मौत के बाद बच्चे बहुत उदास हुए, लेकिन वो बच्चों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे।'
वह तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्वार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाती हैं जहां डॉ. कलाम ने भी 1946 से 1950 तक पढ़ाई की थी।
डॉ. कलाम को पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके जन्मस्थान रमेश्वरम में सुपुर्दे ख़ाक़ किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और अन्य नेता जैसे कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल हुए।
पूर्व राष्ट्रपति की अंतिम यात्रा में हजारों ऐसे लोग भी शामिल हुए जो उनसे कभी नहीं मिले थे लेकिन उनसे बेहद प्रभावित रहे। ऐसे लोगों में चेन्नई के जी श्रीधर भी हैं जो पेशे से वकील हैं।
श्रीधर ने एनडीटीवी से कहा, 'वो दूसरे महात्मा जैसे थे। एक बार उन्होंने इसरो की किसी असफलता की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली थी जबकि उसके बाद मिली कामयाबी का श्रेय दूसरों को दे दिया था। मैं इससे बहुत प्रभावित हुआ।'
रामेश्वरम के डॉ. कलाम के जाने से कई लोग आंसुओं में डूब गए तो कई लोगों ने कहा कि वो हमेशा जीवित रहेंगे। एक शख्स ने कहा, 'हमलोग एक इंसान को दफन नहीं कर रहे, हम प्रेरणा का एक बीज बो रहे हैं।'
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