राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कल चिराग पासवान को फोन किया था. वहीं आज एक ट्वीट करते हुए चिराग पासवान ने समर्थन देने की बात कही है. नेता चिराग पासवान ने आज ट्वीट करते हुए लिखा कि NDA के द्वारा श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाना हमारे लिए गर्व की बात है. देश में ऐसा पहली बार होगा जब एक आदिवासी समाज से आने वाली बेटी देश के सर्वोच्च पद का दायित्व ग्रहण करेगी. लोजपा (रामविलास) भाजपा के इस फैसले का पूर्ण रुप से समर्थन करती है.
NDA के द्वारा श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाना हमारे लिए गर्व की बात है।
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) June 22, 2022
देश में ऐसा पहली बार होगा जब एक आदिवासी समाज से आने वाली बेटी देश के सर्वोच्च पद का दायित्व ग्रहण करेगी।
लोजपा (रामविलास) भाजपा के इस फैसले का पूर्ण रुप से समर्थन करती है।
चिराग के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि उन्हें अब भी एनडीए का हिस्सा माना जा रहा है और यहां तक कि पीएम मोदी ने भी यही कहा है कि चिराग एनडीए का हिस्सा हैं. ये पहले से ही माना जा रहा था कि चिराग एनडीए की राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन जाहिर करेंगे. मुर्मू के पहली आदिवासी और महिला के तौर पर राष्ट्रपति बनने के प्रबल आसार के बीच यह समीकरण चिराग के दलित-आदिवासी के सियासी एजेंडे के अनुकूल भी बैठता है. लेकिन यह इस बात का भी संकेत है कि चिराग पासवान के मामले में बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व नीतीश को अच्छे मूड में नहीं रखना चाहता है.
ये नीतीश के लिए झटका है और इसका मतलब भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अब चिराग़ को ना केवल अपने साथ रखना चाहता है, बल्कि इस मुद्दे पर नीतीश के दबाव में और नहीं रहना चाहता हैं. लोक जनशक्ति पार्टी में विभाजन के पीछे नीतीश का दिमाग़ और भाजपा का उनके दबाव में आकार आनन फ़ानन में नये ग्रुप को मान्यता देना भी था. यह घटनाक्रम ऐसे वक्त हुआ है, जब अग्निपथ योजना को लेकर बिहार में जो हिंसा हुई है, उसके बाद बीजेपी और जेडीयू के जुबानी जंग देखने को मिली है. बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने नीतीश सरकार को पार्टी नेताओं के घर हमले को लेकर चेतावनी दी थी. उसके जवाब में जेडीयू नेता ललन सिंह ने कहा था कि बीजेपी अपने शासन वाले राज्यों में गोली क्यों नहीं चलवा देती. हालांकि अग्निपथ स्कीम औऱ उसके बाद बिहार में हिंसा को लेकर नीतीश कुमार की चुप्पी को लेकर भी तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं.
गौरतलब है कि लोक जनशक्ति पार्टी में दोफाड़ हो गया था, जब चिराग के चाचा पशुपति पारस ने उन्हें हाशिए पर धकेलते हुए अन्य नेताओं के साथ पार्टी पर नियंत्रण जमा लिया था. पशुपति पारस लोक जनशक्ति पार्टी के संसदीय अध्यक्ष बने. उन्हें बाद में एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया.
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