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This Article is From Nov 25, 2011

'बेल देते समय '409' पर मौन क्यों रहा सुप्रीम कोर्ट'

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय में द्रमुक की राज्यसभा सदस्य कनिमोई और पांच अन्य लोगों की 2जी मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई सोमवार को जारी रहेगी। अदालत ने शुक्रवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा पांच कॉर्पोरेट अधिकारियों को जमानत देने का फैसला एक आरोप पर मौन था जिसमें अधिकतम सजा उम्रकैद दी जा सकती है। न्यायमूर्ति वी के शाली ने दिनभर चली सुनवाई के अंत में यह टिप्पणी की जो मामले में सभी 17 आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 409 के तहत आपराधिक विश्वासघात के मामले से जुड़ी है। न्यायमूर्ति शाली ने अगली सुनवाई सोमवार के लिए मुकर्रर करते हुए कहा, उच्चतम न्यायालय के फैसले में आईपीसी की धारा 409 का जिक्र नहीं है। मैं यह नहीं कह रहा कि शीर्ष अदालत इस तथ्य (धारा 409 से संबंधित) से अनभिज्ञ थी लेकिन वह इस मुद्दे पर मौन है। उन्होंने कहा, जिस दिन आदेश (जमानत पर) दिया गया, आरोप निचली अदालत में तय किये गये और यह नहीं कहा जा सकता कि माननीय उच्चतम न्यायालय को यह तथ्य ज्ञात नहीं है। हम कैसे मान लें कि निचली अदालत अधिकतम सात साल की कैद की सजा देगी और धारा 409 के तहत उम्रकैद नहीं सुनाएगी। न्यायमूर्ति शाली ने मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लेख किया और कहा कि उसने सात साल की अधिकतम सजा की बात की जो आरोपियों के दोषी पाये जाने पर उन्हें दी जा सकती है। न्यायाधीश के प्रश्न पर वरिष्ठ अधिवक्ता अल्ताफ अहमद ने कनिमोई की ओर से कहा कि शीर्ष अदालत को आईपीसी की धारा 409 के तहत तय किये गये आरोपों के बारे में भी जानकारी है और उसका आदेश सभी अदालतों के लिए बाध्यकारी है।

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