
बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना के बारे में मीडिया में आई खबरों से इनकार करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि गोवा में शनिवार को की गई उनकी टिप्पणी को ‘पूरी तरह से गलत रूप में समझा गया’ और तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया।
लेकिन उन्होंने जो टिप्पणी की थी उससे संकेत मिल रहा था कि वह बिना नाम लिये मोदी की आलोचना कर रहे हैं। डोना पाउला में शनिवार को ‘डिफिकल्ट डायलॉग’ सम्मेलन की परिचर्चा में सिन्हा ने मोदी का नाम लिये बिना कहा था, ‘‘भारत के लोग उन्हें धूल चटा देंगे, आपको सिर्फ अगले चुनावों का इंतजार करना होगा।’’
सिन्हा ने रविवार को इनकार किया कि उन्होंने मोदी का कोई संदर्भ दिया था। उन्होंने कहा, ‘यह पूरी तरह से तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया। जिस किसी ने भी यह रिपोर्टिंग की उसने मेरी कही बातों को पूरी तरह गलत रूप में समझा।’ चर्चा के दौरान सिन्हा से ‘मैं, मुझे और स्वयं’ की आज की संस्कृति के बारे में और ऐसे मामले में बातचीत के उपयोग के बारे में पूछा गया था।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रह चुके सिन्हा ने जवाब दिया था कि संसद और विधानसभाओं के सदस्यों सहित निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को लगातार जनता के पास वापस जाना होगा, जिन्होंने उन्हें चुना है। सिन्हा ने इसके बाद 1975 के आपातकाल का हवाला दिया और कहा था कि देश जानता है कि असहमति की आवाज को दबाने के लिए किए गए सबसे मजबूत प्रयास का क्या हुआ था।
सिन्हा ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि भारत की जनता ने कैसे प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। यहां-वहां गलतियां हो सकती हैं, हम मौजूदा हालात को लेकर बहुत चिंतित हो सकते हैं क्योंकि हमारे मुताबिक ऐसी कुछ चीजें हो रही हैं। उन्होंने कहा था कि महान भारतीय समाज इसे ध्यान में रखेगा और भारत में संवाद में यकीन नहीं रखने वालों को धूल चटा देगा। आपको बस अगले चुनावों का इंतजार करना होगा। रविवार को उन्होंने कहा कि आपातकाल के सदंर्भ का मौजूदा सरकार से कोई लेना देना नहीं है।
लेकिन उन्होंने जो टिप्पणी की थी उससे संकेत मिल रहा था कि वह बिना नाम लिये मोदी की आलोचना कर रहे हैं। डोना पाउला में शनिवार को ‘डिफिकल्ट डायलॉग’ सम्मेलन की परिचर्चा में सिन्हा ने मोदी का नाम लिये बिना कहा था, ‘‘भारत के लोग उन्हें धूल चटा देंगे, आपको सिर्फ अगले चुनावों का इंतजार करना होगा।’’
सिन्हा ने रविवार को इनकार किया कि उन्होंने मोदी का कोई संदर्भ दिया था। उन्होंने कहा, ‘यह पूरी तरह से तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया। जिस किसी ने भी यह रिपोर्टिंग की उसने मेरी कही बातों को पूरी तरह गलत रूप में समझा।’ चर्चा के दौरान सिन्हा से ‘मैं, मुझे और स्वयं’ की आज की संस्कृति के बारे में और ऐसे मामले में बातचीत के उपयोग के बारे में पूछा गया था।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रह चुके सिन्हा ने जवाब दिया था कि संसद और विधानसभाओं के सदस्यों सहित निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को लगातार जनता के पास वापस जाना होगा, जिन्होंने उन्हें चुना है। सिन्हा ने इसके बाद 1975 के आपातकाल का हवाला दिया और कहा था कि देश जानता है कि असहमति की आवाज को दबाने के लिए किए गए सबसे मजबूत प्रयास का क्या हुआ था।
सिन्हा ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि भारत की जनता ने कैसे प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। यहां-वहां गलतियां हो सकती हैं, हम मौजूदा हालात को लेकर बहुत चिंतित हो सकते हैं क्योंकि हमारे मुताबिक ऐसी कुछ चीजें हो रही हैं। उन्होंने कहा था कि महान भारतीय समाज इसे ध्यान में रखेगा और भारत में संवाद में यकीन नहीं रखने वालों को धूल चटा देगा। आपको बस अगले चुनावों का इंतजार करना होगा। रविवार को उन्होंने कहा कि आपातकाल के सदंर्भ का मौजूदा सरकार से कोई लेना देना नहीं है।
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