रात में खुली सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:
मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को मौत की सजा से बचाने के एक और आखिरी प्रयास के तहत उसके वकीलों ने बुधवार देर रात सुप्रीम कोर्ट का रुख कर फांसी पर रोक लगाने की मांग की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दी है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याकूब को पर्याप्त मौके दिए गए।
याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट को रात में पहली बार खोला गया। यह भारतीय इतिहास में ऐतिहासिक घटना है। बताया जा रहा है कि कोर्ट नंबर चार में यह सुनवाई हुई। सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी मामले की पैरवी कर रहे थे।
पीठ में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र पंत और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय थे, जिसने याकूब के खिलाफ डेथ वारंट को बरकरार रखा था।
इससे पहले याकूब के वकील आनंद ग्रोवर की दलील थी कि याकूब को 14 दिनों की मोहलत मिले। दया याचिका दायर करने का उनका अधिकार है। वहीं, रोहतगी का कहना है कि डेथ वारंट से पहले लगानी थी याचिका। ऐसे तो हर दिन दया याचिकाएं आएंगी। उन्होंने कहा कि बार-बार दया याचिका भेजना ग़लत है।
ताजा याचिका में याकूब की पैरवी कर रहे वकीलों का कहना था कि दया याचिका खारिज होने को चैलेंज करने के लिए उन्हें समय चाहिए, लेकिन अगर याकूब को फांसी हो गई तो कुछ नहीं हो सकेगा। दया याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, फांसी कम से कम 14 दिन बाद दी जानी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव ने पूर्व में बुधवार को मेमन की दया याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
याचिका में गुहार लगाई गई कि आदेश पारित किया जाए कि दया याचिका खारिज होने के बाद सर्वोच्च अदालत के दिशा निर्देशों के तहत प्रशासन उसे फांसी के लिए 14 दिन का समय दे।
याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट को रात में पहली बार खोला गया। यह भारतीय इतिहास में ऐतिहासिक घटना है। बताया जा रहा है कि कोर्ट नंबर चार में यह सुनवाई हुई। सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी मामले की पैरवी कर रहे थे।
पीठ में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र पंत और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय थे, जिसने याकूब के खिलाफ डेथ वारंट को बरकरार रखा था।
इससे पहले याकूब के वकील आनंद ग्रोवर की दलील थी कि याकूब को 14 दिनों की मोहलत मिले। दया याचिका दायर करने का उनका अधिकार है। वहीं, रोहतगी का कहना है कि डेथ वारंट से पहले लगानी थी याचिका। ऐसे तो हर दिन दया याचिकाएं आएंगी। उन्होंने कहा कि बार-बार दया याचिका भेजना ग़लत है।
ताजा याचिका में याकूब की पैरवी कर रहे वकीलों का कहना था कि दया याचिका खारिज होने को चैलेंज करने के लिए उन्हें समय चाहिए, लेकिन अगर याकूब को फांसी हो गई तो कुछ नहीं हो सकेगा। दया याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, फांसी कम से कम 14 दिन बाद दी जानी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव ने पूर्व में बुधवार को मेमन की दया याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
याचिका में गुहार लगाई गई कि आदेश पारित किया जाए कि दया याचिका खारिज होने के बाद सर्वोच्च अदालत के दिशा निर्देशों के तहत प्रशासन उसे फांसी के लिए 14 दिन का समय दे।
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याकूब मेमन, 1993 सिलसिलेवार बम धमाका, सुप्रीम कोर्ट, Yakub Memon, 1993 Mumbai Serial Blasts, Supreme Court