प्रतीकात्मक फोटो
इंदौर:
देश के 21 प्रमुख राज्यों में 94.5 प्रतिशत विवाहिताओं को गर्भ निरोध के साधनों के बारे में जानकारी है। लेकिन इनमें से केवल 50.2 प्रतिशत विवाहिताएं ही इन साधनों का इस्तेमाल कर रही हैं। इस तरह शेष 44.3 प्रतिशत शादीशुदा महिलाएं गर्भ निरोध के साधनों के ज्ञान के बावजूद इन्हें नहीं अपना रही हैं।
सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के ‘बेसलाइन सर्वे 2014’ में इस बात का खुलासा हुआ है। सर्वेक्षण के मुताबिक पश्चिम बंगाल में 95.9 प्रतिशत विवाहिताओं को गर्भ निरोध के साधनों की जानकारी है और इनमें से 67.2 प्रतिशत महिलाएं इनका प्रयोग कर रही हैं। जम्मू-कश्मीर में 83.1 प्रतिशत विवाहिताओं को गर्भनिरोध के साधनों के बारे में पता है। लेकिन इनमें से 27.9 प्रतिशत महिलाओं ने ही इन साधनों को अपनाया है।
हरियाणा की 98.4 फीसद विवाहिताओं को गर्भ निरोध के साधनों का ज्ञान है। लेकिन इनमें से 52.6 प्रतिशत महिलाएं ही इन साधनों का इस्तेमाल कर रही हैं। बिहार में 95.3 प्रतिशत शादीशुदा महिलाओं को गर्भ निरोध के साधनों के बारे में जानकारी है। लेकिन इनमें से 30.2 प्रतिशत महिलाएं ही इनका प्रयोग कर रही हैं। मध्यप्रदेश में 96.1 प्रतिशत विवाहिताओं को गर्भ निरोध के साधनों का ज्ञान है और इनमें से 64.5 प्रतिशत महिलाएं यह साधन अपना रही हैं।
परिवार नियोजन विषय के विद्वान और नसबंदी विशेषज्ञ डॉ ललितमोहन पंत ने इन आंकड़ों की रोशनी में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘अगर गर्भ निरोध के साधनों की जानकारी के बावजूद विवाहिताएं इन्हें नहीं अपना रही हैं, तो इसकी बड़ी वजह यह हो सकती है कि यह साधन उन तक पहुंच ही नहीं पा रहे हों। लिहाजा सरकार को चाहिए कि वह विवाहिताओं की इन साधनों तक आसान पहुंच सुनिश्चित करे।’ इंदौर निवासी पंत पिछले 35 सालों में नसबंदी के रिकॉर्ड 3,46,557 ऑपरेशन करने का दावा करते हैं।
मध्यप्रदेश सरकार के इस सर्जन ने जोर देकर कहा कि देश की आबादी को स्थिर करने की मुहिम में महिलाओं का योगदान पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक है। उन्होंने कहा, ‘नसंबदी ऑपरेशनों को लेकर ज्यादातर पुरुषों का डर, हिचक और वहम अब भी कायम है। नसबंदी ऑपरेशनों में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की भागीदारी लगभग नगण्य बनी हुई है।’ पंत ने यह भी बताया कि देश की कुल प्रजनन दर (महिला द्वारा उसके जीवनकाल काल में पैदा किए बच्चों की संख्या) फिलहाल 2.3 के स्तर पर है। सरकार का लक्ष्य है कि इसे वर्ष 2020 तक घटाकर 2.1 पर लाया जाए।
सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के ‘बेसलाइन सर्वे 2014’ में आंध्रप्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल को शामिल किया गया है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के ‘बेसलाइन सर्वे 2014’ में इस बात का खुलासा हुआ है। सर्वेक्षण के मुताबिक पश्चिम बंगाल में 95.9 प्रतिशत विवाहिताओं को गर्भ निरोध के साधनों की जानकारी है और इनमें से 67.2 प्रतिशत महिलाएं इनका प्रयोग कर रही हैं। जम्मू-कश्मीर में 83.1 प्रतिशत विवाहिताओं को गर्भनिरोध के साधनों के बारे में पता है। लेकिन इनमें से 27.9 प्रतिशत महिलाओं ने ही इन साधनों को अपनाया है।
हरियाणा की 98.4 फीसद विवाहिताओं को गर्भ निरोध के साधनों का ज्ञान है। लेकिन इनमें से 52.6 प्रतिशत महिलाएं ही इन साधनों का इस्तेमाल कर रही हैं। बिहार में 95.3 प्रतिशत शादीशुदा महिलाओं को गर्भ निरोध के साधनों के बारे में जानकारी है। लेकिन इनमें से 30.2 प्रतिशत महिलाएं ही इनका प्रयोग कर रही हैं। मध्यप्रदेश में 96.1 प्रतिशत विवाहिताओं को गर्भ निरोध के साधनों का ज्ञान है और इनमें से 64.5 प्रतिशत महिलाएं यह साधन अपना रही हैं।
परिवार नियोजन विषय के विद्वान और नसबंदी विशेषज्ञ डॉ ललितमोहन पंत ने इन आंकड़ों की रोशनी में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘अगर गर्भ निरोध के साधनों की जानकारी के बावजूद विवाहिताएं इन्हें नहीं अपना रही हैं, तो इसकी बड़ी वजह यह हो सकती है कि यह साधन उन तक पहुंच ही नहीं पा रहे हों। लिहाजा सरकार को चाहिए कि वह विवाहिताओं की इन साधनों तक आसान पहुंच सुनिश्चित करे।’ इंदौर निवासी पंत पिछले 35 सालों में नसबंदी के रिकॉर्ड 3,46,557 ऑपरेशन करने का दावा करते हैं।
मध्यप्रदेश सरकार के इस सर्जन ने जोर देकर कहा कि देश की आबादी को स्थिर करने की मुहिम में महिलाओं का योगदान पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक है। उन्होंने कहा, ‘नसंबदी ऑपरेशनों को लेकर ज्यादातर पुरुषों का डर, हिचक और वहम अब भी कायम है। नसबंदी ऑपरेशनों में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की भागीदारी लगभग नगण्य बनी हुई है।’ पंत ने यह भी बताया कि देश की कुल प्रजनन दर (महिला द्वारा उसके जीवनकाल काल में पैदा किए बच्चों की संख्या) फिलहाल 2.3 के स्तर पर है। सरकार का लक्ष्य है कि इसे वर्ष 2020 तक घटाकर 2.1 पर लाया जाए।
सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के ‘बेसलाइन सर्वे 2014’ में आंध्रप्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल को शामिल किया गया है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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विश्व जनसंख्या दिवस, 11 जुलाई, विवाहित महिलाएं, गर्भनिरोधक, बेसलाइन सर्वे 2014, World Population Day, 11 July, Married Women, Contraception, Baseline Survey - 2014