
पीयूष गोयल शपथ लेते हुए
नई दिल्ली:
नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के तीसरे फेरबदल की खबरों के साथ ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि सुरेश प्रभु के इस्तीफे की पेशकश के बाद देश का नया रेलमंत्री कौन होगा. स्वतंत्र प्रभार मंत्रालय से कैबिनेट मंत्री के तौर पर प्रमोट किए गए पीयूष गोयल को नया रेल मंत्री बनाया गया है. बार-बार दुर्घटनाओं के लिए बुरी तरह बदनाम हो चुके रेल विभाग इस समय मोदी सरकार के लिए बड़ा सर दर्द बन गया है. बड़ सवाल यही है कि क्या रेल मंत्री बदल दिए जाने से क्या इस विभाग की हालत में सुधार हो जाएगा क्योंकि रेल के सामने आज भी वहीं समस्याएं जो सालों से चली आ रही हैं और जिनका सामना सुरेश प्रभु नहीं कर पाए. कम से कम 10 समस्याएं तो ऐसी हैं जिनका अगर तुरंत निदान करना बेहद जरूरी है नहीं तो वही 'ढाक के तीन पात' वाली बात साबित होगी.
1- दुर्घटनाओं से निजात पाना- नए रेल मंत्री पीयूष गोयल से सामने सबसे बड़ी चुनौती रेल दुर्घटनाएं रोकना है. मोदी सरकार के आने के बाद से कई बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. बीते अगस्त में ही तीन बड़ी दुर्घटनाएं हुई हैं. जिसके बाद ही सुरेश प्रभु ने इस्तीफे की पेशकश की थी.
( मुजफ्फरनगर में हुआ था रेल हादसा)
2- रेलवे में भ्रष्टाचार : सुरेश प्रभु को बेहद ईमानदार शख्स माना जाता है लेकिन वह खुद रेलवे के भ्रष्टाचार को रोकने में कामयाब नहीं हो पाए. देखने वाली बात यह होगी कि पीय़ूष गोयल से इससे कैसे निपट पाते हैं.
पढ़ें : पीएम मोदी के काबिल मंत्री की राष्ट्रपति कोविंद ने शपथ ग्रहण के दौरान ही कर दी 'खिंचाई'
3- ट्रेनों में स्वच्छता अभियान : पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान का असर रेलों में आंशिक रूप से तो दिखाई पड़ा है. लेकिन इसको बनाए रखना भी अपने आप में बड़ी चुनौती है.
4- आरक्षण व्यवस्था में सुधार : टिकटों की दलाली और आरक्षण में सुधार लाने के लिए सुरेश प्रभु अपने पूरे कार्यकाल के दौरान जूझते रहे. हालांकि इस क्षेत्र में काम भी बहुत हुआ लेकिन कोई ठोस सफलता नहीं मिल पाई.
5- रेलवे में निवेश : रेलवे के रखरखाव और उनकी स्पीड बढ़ाने के लिए अच्छी खासी पूंजी की जरूरत है जबकि रेलवे विभाग पहले से ही घाटे में चल रहा है.
वीडियो : निर्मला सीतारमण बनीं रक्षामंत्री
6- खानपान की व्यवस्था : रेल यात्रियों की हमेशा से ही एक समस्या खानपान को लेकर रही है. इस मामले में इतना भ्रष्टाचार और लापरवाही की जाती है कि चाहकर भी अधिकारी कोई रास्ता नहीं खोज नहीं पाए हैं.
1- दुर्घटनाओं से निजात पाना- नए रेल मंत्री पीयूष गोयल से सामने सबसे बड़ी चुनौती रेल दुर्घटनाएं रोकना है. मोदी सरकार के आने के बाद से कई बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. बीते अगस्त में ही तीन बड़ी दुर्घटनाएं हुई हैं. जिसके बाद ही सुरेश प्रभु ने इस्तीफे की पेशकश की थी.

2- रेलवे में भ्रष्टाचार : सुरेश प्रभु को बेहद ईमानदार शख्स माना जाता है लेकिन वह खुद रेलवे के भ्रष्टाचार को रोकने में कामयाब नहीं हो पाए. देखने वाली बात यह होगी कि पीय़ूष गोयल से इससे कैसे निपट पाते हैं.
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3- ट्रेनों में स्वच्छता अभियान : पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान का असर रेलों में आंशिक रूप से तो दिखाई पड़ा है. लेकिन इसको बनाए रखना भी अपने आप में बड़ी चुनौती है.
4- आरक्षण व्यवस्था में सुधार : टिकटों की दलाली और आरक्षण में सुधार लाने के लिए सुरेश प्रभु अपने पूरे कार्यकाल के दौरान जूझते रहे. हालांकि इस क्षेत्र में काम भी बहुत हुआ लेकिन कोई ठोस सफलता नहीं मिल पाई.
5- रेलवे में निवेश : रेलवे के रखरखाव और उनकी स्पीड बढ़ाने के लिए अच्छी खासी पूंजी की जरूरत है जबकि रेलवे विभाग पहले से ही घाटे में चल रहा है.
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6- खानपान की व्यवस्था : रेल यात्रियों की हमेशा से ही एक समस्या खानपान को लेकर रही है. इस मामले में इतना भ्रष्टाचार और लापरवाही की जाती है कि चाहकर भी अधिकारी कोई रास्ता नहीं खोज नहीं पाए हैं.
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