राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को कहा कि वह बीएसएफ के संचालन क्षेत्राधिकार के विस्तार के बारे में गृह मंत्री अमित शाह से "उनके विचार जानने के लिए" मिलेंगे. पवार ने इस सप्ताह के गृह मंत्रालय के आदेश का जिक्र करते हुए कहा, "मैं इसके बारे में गृह मंत्री अमित शाह से उनके विचार जानने के लिए मिलूंगा."
इस आदेश ने पंजाब में एक विवाद पैदा कर दिया है. केंद्र के इस आदेश के चलते पांजाब कांग्रेस में एक बार फिर खेमेबाजी देखने को मिल रही है. नेताओं के एक समूह ने मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी की आलोचना करते हुए कहा कि "पंजाब का आधा हिस्सा केंद्र को सौंप दिया". .
केंद्र ने कहा है कि इस कदम का उद्देश्य आतंकवाद और सीमा पार अपराधों के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' बनाए रखना है. यह आदेश बीएसएफ को प्रत्येक राज्य के भीतर एक विस्तारित क्षेत्र में तलाशी लेने, संदिग्धों को गिरफ्तार करने और जब्ती करने का अधिकार देता है, जिससे उसे प्रत्येक क्षेत्र में पुलिस बल के समान अधिकार मिलते हैं.
पंजाब में सत्ता में काबिज कांग्रेस ने केंद्र की भाजपा सरकार पर देश के संघीय ढांचे को नष्ट करने का आरोप लगाते हुए "साजिश" का आरोप लगाया. पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आदेश के समय पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि यह गुजरात के अडानी द्वारा संचालित मुंद्रा बंदरगाह में जब्त हेरोइन से ध्यान हटाने के लिए है.
इस आदेश ने पंजाब की सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर भी एक विवाद पैदा कर दिया है, जिसमें पूर्व राज्य प्रमुख सुनील जाखड़ ने नए मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी पर निशाना साधा है. सीएम चन्नी ने अमित शाह से मुलाकात की और पाकिस्तान के साथ राज्य की सीमा को सील करने में मदद मांगी, जहां से भारत में हथियारों और ड्रग्स की तस्करी की जाती है. चन्नी की शाह से इस अपील के एक हफ्ते बाद यह आदेश आया.
केंद्र के इस कदम की पूर्व सहयोगी अकाली दल ने भी आलोचना की है. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि भाजपा "पंजाब को केंद्रीय सुरक्षा बलों के हाथों में सौंपकर भाजपा इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने की कोशिश कर रही है".
वर्तमान में पंजाब में प्रमुख विपक्षी पार्टी आम आदमी पार्टी ने भी केंद्र के इस आदेश पर निशाना साधा है. 'आप' प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा कि कांग्रेस ने पंजाब के आधे हिस्से को केंद्र को सौंप दिया है.
इस कदम की बंगाल सरकार ने भी आलोचना की है, जहां तृणमूल के प्रवक्ता कुणाल घोष ने इसे "राज्य के अधिकारों का उल्लंघन" कहा है.
उन्होंने कहा, "अगर बीएसएफ को कोई तलाशी करनी है, तो वे हमेशा राज्य पुलिस के साथ मिलकर कर सकते हैं. यह सालों से चला आ रहा है. यह संघीय ढांचे पर हमला है."
अप्रैल-मई चुनावों में सत्ता बरकरार रखने के बाद भाजपा द्वारा नियंत्रित असम सरकार ने गृह मंत्रालय के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
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