प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट अस्पतालों में नर्सों के हालात पर गहरी चिंता जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों में नर्सों की हालत दयनीय है। उन्हें न तो उचित वेतन मिलता है और न ही उनके काम करने का सही माहौल है। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि जो नर्सें किसी ट्रेनिंग इंस्टीटयूट में जाती हैं उनसे एक बांड साइन करा लिया जाता है जिसके तहत वे बेहद कम पैसे में काम करने को मजबूर हो जाती हैं । यह एक गंभीर मामला है।
चार सप्ताह में एक्सपर्ट पैनल बनाएं
इसके सथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार को नर्सों के हालात को सुधारने के लिए आगे आना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र को निर्देश देते हुए कहा कि सरकार चार हफ्तों में नर्सों की वर्किंग कंडीशन और न्यूनतम वेतन को लेकर एक एक्सपर्ट पैनल बनाए। ये पैनल 6 माह में अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार को दे। केंद्र सरकार इस पैनल की सिफ़ारिशों पर ग़ौर कर कानून बनाए।
यह है मामला
सुप्रीम कोर्ट में ट्रेंड नर्स एसोसिएशन की तरफ से एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। इसमें प्राइवेट अस्पतालों में नर्सों के न्यूनतम वेतन तय करने और काम करने के माहौल को बेहतर करने की मांग की गई थी।
चार सप्ताह में एक्सपर्ट पैनल बनाएं
इसके सथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार को नर्सों के हालात को सुधारने के लिए आगे आना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र को निर्देश देते हुए कहा कि सरकार चार हफ्तों में नर्सों की वर्किंग कंडीशन और न्यूनतम वेतन को लेकर एक एक्सपर्ट पैनल बनाए। ये पैनल 6 माह में अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार को दे। केंद्र सरकार इस पैनल की सिफ़ारिशों पर ग़ौर कर कानून बनाए।
यह है मामला
सुप्रीम कोर्ट में ट्रेंड नर्स एसोसिएशन की तरफ से एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। इसमें प्राइवेट अस्पतालों में नर्सों के न्यूनतम वेतन तय करने और काम करने के माहौल को बेहतर करने की मांग की गई थी।
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