विवादास्पद हेलीकॉप्टर सौदे को रद्द करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि उसने वायु सेना को 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए 3600 करोड़ रुपये के अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करने के लिए अगस्तावेस्टलैंड को अंतिम कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
मंत्रालय ने यह नोटिस 21 अक्तूबर को जारी किया था जिसमें उसने एंग्लो इतालवी फर्म से कहा है कि ‘प्री इंटेगरिटी समझौते और 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए शर्तों का उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अनुबंध को रद्द करने समेत क्यों न बताई गई सभी या कोई कार्रवाई की जानी चाहिए।’
रक्षा मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि फर्म को अंतिम चेतावनी का जवाब देने के लिए 21 दिन का वक्त दिया गया है।
उन्होंने बताया कि अटॉर्नी जनरल ने पहले ही अपनी राय दी है कि फर्म ने अनुबंध दायित्वों और इंटेगरिटी समझौते का उल्लंघन किया है।
अगस्तावेस्टलैंड द्वारा मध्यस्थता की कार्यवाही का इस्तेमाल किए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ये कार्यवाही रक्षा मंत्रालय के प्री कांट्रैक्ट इंटेगरिटी समझौते का उल्लंघन करने पर लागू नहीं होती है।
कंपनी ने पिछले सप्ताह कहा था कि उसने एकतरफा सौदे को रोकने के लिए रक्षा मंत्रालय के खिलाफ मध्यस्थता की कार्यवाही का इस्तेमाल किया है। विधि मंत्रालय ने भी रक्षा मंत्रालय से कहा है कि अगस्ता वेस्टलैंड की ओर से शुरू की गई मध्यस्थता की कार्यवाही उसपर बाध्यकारी नहीं है।
सरकार ने पहले ही 360 करोड़ रुपये का रिश्वत दिए जाने के आरोप सामने आने के बाद वायु सेना को 12 एडब्ल्यू-101 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए अनुबंध पर रोक लगा दी है। रिश्वतखोरी के इस मामले में कंपनी के दो शीर्ष अधिकारी आरोपी हैं।
वायु सेना को पहले ही तीन हेलीकॉप्टर मिल चुके हैं और शेष की आपूर्ति पर रोक लगा दी गई है।
इटली में इस मामले में फर्म के पूर्व सीईओ ग्यूसेप ओर्सी की गिरफ्तारी के तुरंत बाद रक्षा मंत्री एके एंटनी ने फर्म को धन के भुगतान के साथ-साथ शेष नौ हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति पर रोक लगा दी थी।
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