यह ख़बर 12 जून, 2013 को प्रकाशित हुई थी

तीसरे मोर्चे को लेकर गोलबंदी तेज़, ममता और नवीन ने उठाई आवाज़

खास बातें

  • बीजेपी में हुए अंदरूनी घमासान का नतीजा यह हुआ है कि एक बार फिर तीसरे मोर्चे के लिए आवाज़ें तेज़ हो गई हैं। क्षेत्रीय दल गोलबंदी में जुट गए हैं लेकिन निगाहें अभी भी बीजेपी के अगले कदम पर हैं।
नई दिल्ली:

बीजेपी में हुए अंदरूनी घमासान का नतीजा यह हुआ है कि एक बार फिर तीसरे मोर्चे के लिए आवाज़ें तेज़ हो गई हैं। क्षेत्रीय दल गोलबंदी में जुट गए हैं लेकिन निगाहें अभी भी बीजेपी के अगले कदम पर हैं।

पहल पूर्वी राज्यों से हुई है…। पहले ममता बनर्जी ने फ़ेसबुक पर फेडरल फ्रंट को लेकर पोस्ट किया। इसके बाद उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि एक फेडरल फ्रंट या थर्ड फ्रंट देश के लिए अच्छा होगा लेकिन इस पर बात करना अभी जल्दबाज़ी होगा।

लगे हाथों आडवाणी के इस्तीफ़े की घटना के बाद से हैरान परेशान जेडीयू ने भी अपने रुख़ का इज़हार कर दिया। जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने भी कुछ ऐसे ही विचार रखे।

उधर, दूसरे क्षेत्रीय दल भी आम चुनाव की सुगबुगाहट के साथ शतरंज की गोटियां बिठाने में लग गए हैं। सबको पता है कि ताक़त का पैमाना सीटों को ही माना जाएगा।

सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का कहना है कि वह सपा को मज़बूत कर रहे हैं।

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साफ़ है कि रायसीना हिल के लिए क्षेत्री ताकतों में नए सिरे से गोलबंदी तेज़ हो गई है। सबकी निगाह बीजेपी पर टिकी है। अगर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाता है तो गोलबंदी एक तरह से होगी और नहीं बनाती तो दूसरी तरह से…।