माना जा रहा है कि शशिकला की कई मांगों को जेल प्रशासन ने ठुकरा दिया है...
चेन्नई:
अन्नाद्रमुक महासचिव वीके शशिकला अदालत में आत्मसमर्पण करने के बाद बेंगलुरु की सेंट्रल जेल लौट आईं. कल ही उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था कि वह चार साल की कैद की बाकी अवधि की सजा तत्काल काटें. साठ वर्षीय शशिकला विशेष अदालत के न्यायाधीश अश्वथनारायण के सामने पेश हुईं. उधर, सूत्रों के मुताबिक, शशिकला ने सेल में एक टेबल, पंखा और प्रत्येक सप्ताह कुछ नॉन-वेज भोजन की व्यवस्था कराने की जेल प्रशासन से मांग की है. उन्होंने ध्यान के लिए खास जगह और चौबीस घंटे चिकित्सा सेवाएं मुहैया कराने की भी मांग की है. वहीं जेल प्रशासन ने उनकी मांगों को ठुकरा दिया है.
एक अधिकारी ने बताया, "कोई भी खास सुविधा शशिकला को नहीं दी जाएगी." मीडिया में आई खबरों को उन्होंने खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि शशिकला ने घर का बना खाना, मिनरल वाटर और एक स्पेशल टॉयलेट की मांग जेल प्रशासन से की है. अधिकारी ने इस प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह कैसे संभव है? शशिकला ने हमसे अभी तक इसके लिए संपर्क नहीं किया है."
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मोहलत नहीं दिए जाने के बाद शशिकला सड़क मार्ग से कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू के लिए चेन्नई से रवाना हुईं थी. वह परप्पना अग्रहारा में सेंट्रल जेल में ही बनाई गई अदालत में गईं. यह जगह कर्नाटक-तमिलनाडु सीमा पर होसुर से 28 किलोमीटर दूर है. दरअसल बेंगलुरु के अदालत कक्ष को सुरक्षा कारणों से परप्पना अग्रहारा स्थित केंद्रीय जेल में स्थानांतरित किया गया था. वहीं शशिकला ने आत्मसमर्पण किया. अधिकारियों ने बताया कि अदालती औपचारिकताएं पूरी करने और मेडिकल चेकअप के बाद शशिकला को सलाखों के पीछे डाल दिया गया. न्यायाधीश ने भी आत्मसमर्पण के वास्ते दो हफ्ते का और वक्त देने और घर के खाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था.
इससे पहले जब शशिकला बेंगलुरु के लिए निकलीं तो रास्ते में वह जयललिता की समाधि पर गईं और माथा टेका. माथा टेकने के बाद शशिकला ने कहा कि उन्होंने 'षड़यंत्र और विश्वासघात' से जीतने के लिए 'बड़ी शपथ' ली है. अब वह उसी जेल में फिर से पहुंची हैं जहां आय से अधिक संपत्ति मामले में सितंबर 2014 में निचली अदालत के दोषी करार दिए जाने के बाद तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता और उनके रिश्तेदारों वी के सुधाकरन एवं जे इलावरासी ने तीन सप्ताह जेल में बिताए थे.
सुधाकरन एवं इलावरासी ने भी आज अदालत में आत्मसमर्पण किया. निचली अदालत में हुई उनकी दोषसिद्धि भी उच्चतम न्यायालय ने बरकरार रखी थी. जयललिता का निधन हो जाने के कारण उनके विरूद्ध मामला रोक दिया गया.
एक अधिकारी ने बताया, "कोई भी खास सुविधा शशिकला को नहीं दी जाएगी." मीडिया में आई खबरों को उन्होंने खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि शशिकला ने घर का बना खाना, मिनरल वाटर और एक स्पेशल टॉयलेट की मांग जेल प्रशासन से की है. अधिकारी ने इस प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह कैसे संभव है? शशिकला ने हमसे अभी तक इसके लिए संपर्क नहीं किया है."
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मोहलत नहीं दिए जाने के बाद शशिकला सड़क मार्ग से कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू के लिए चेन्नई से रवाना हुईं थी. वह परप्पना अग्रहारा में सेंट्रल जेल में ही बनाई गई अदालत में गईं. यह जगह कर्नाटक-तमिलनाडु सीमा पर होसुर से 28 किलोमीटर दूर है. दरअसल बेंगलुरु के अदालत कक्ष को सुरक्षा कारणों से परप्पना अग्रहारा स्थित केंद्रीय जेल में स्थानांतरित किया गया था. वहीं शशिकला ने आत्मसमर्पण किया. अधिकारियों ने बताया कि अदालती औपचारिकताएं पूरी करने और मेडिकल चेकअप के बाद शशिकला को सलाखों के पीछे डाल दिया गया. न्यायाधीश ने भी आत्मसमर्पण के वास्ते दो हफ्ते का और वक्त देने और घर के खाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था.
इससे पहले जब शशिकला बेंगलुरु के लिए निकलीं तो रास्ते में वह जयललिता की समाधि पर गईं और माथा टेका. माथा टेकने के बाद शशिकला ने कहा कि उन्होंने 'षड़यंत्र और विश्वासघात' से जीतने के लिए 'बड़ी शपथ' ली है. अब वह उसी जेल में फिर से पहुंची हैं जहां आय से अधिक संपत्ति मामले में सितंबर 2014 में निचली अदालत के दोषी करार दिए जाने के बाद तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता और उनके रिश्तेदारों वी के सुधाकरन एवं जे इलावरासी ने तीन सप्ताह जेल में बिताए थे.
सुधाकरन एवं इलावरासी ने भी आज अदालत में आत्मसमर्पण किया. निचली अदालत में हुई उनकी दोषसिद्धि भी उच्चतम न्यायालय ने बरकरार रखी थी. जयललिता का निधन हो जाने के कारण उनके विरूद्ध मामला रोक दिया गया.
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