नई दिल्ली:
8 अक्टूबर को वायुसेना दिवस के मौके पर होने वाले फ्लाइ पास्ट का मुख्य मुख्य आकर्षण होगा विंटेज एयरकाप्ट हार्वर्ड। 1940 के दशक का हार्वर्ड 1980 में ही रिटायर हो गया था, लेकिन अब एक बार फिर से उड़ने को तैयार है। हिंडन एयरबेस, गाजियाबाद में होने वाले इस कार्यक्रम में हार्वर्ड का साथ देगा एक और विंटेंज एयरकाफ्ट टाइगर मोथ। इन दोनों की जुगलबंदी आसमान में देखते ही बनती है।
290 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ने वाला एडवांस ट्रेनर हार्वर्ड को उड़ाने वाले विंग कमांडर प्रशांत नायर कहते हैं, मुझे गर्व है कि मैं ऐसा एयरकाफ्ट उड़ा रहा हूं। ऐसा मौका किस्मत वाले को ही मिलता है। एक बार में महज ढाई घंटा ही उड़ने वाले इस विमान की रौनक देखते ही बनती है।
वहीं टाइगर मोथ भी 30 के दशक का बेसिक ट्रेनर है। इसकी रफ्तार महज 120 किलोमीटर प्रति घंटा ही है। ये कपड़े और लकड़ी से मिलकर बना है। 2012 से टाइगर मोथ वायुसेना में फिर से उड़ान भर रहा है। टाइगर मोथ को उड़ाने वाले विंग कमांडर हिमांशु कुलश्रेष्ठ कहते हैं कि इसको उड़ाने के लिए पायलट की फ्लाइंग स्किल ही काम आती है...इसे उड़ाना आसान नहीं है।
इन दोनों एयरकाफ्ट में टेल व्हील है, जिससे टेक ऑफ और लैडिंग करना आसान नहीं होता, क्योंकि अब के जहाज में नोज व्हील हैं। तभी तो जहाज को मेंनटेन कहने वाले इंजीनियर विंग कमांडर दीपेश कहते हैं, एक तो जहाज पुराना है, दूसरे इसके पार्ट्स आसानी से मिलते नहीं है और सुरक्षा पर भी ध्यान देना होता है। समझ सकते हैं कि इसे उड़ाने के लिए तैयार करने में कितनी दिक्कत आती होगी।
दोनों जहाज ब्रिटेन के बने हैं और इसे फिर से उड़ने लायक बनाया है ब्रिटेन के ही रिफ्लाइट एयरवर्क्स लिमिटेड ने। बेशक ये जहाज पुराना है, लेकिन इसे उड़ाने वाले पायलट पूरी तरह प्रशिक्षित हैं, जो वायुसेना की विरासत को शानदार तरीके से ख्याल रख रहे हैं।
290 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ने वाला एडवांस ट्रेनर हार्वर्ड को उड़ाने वाले विंग कमांडर प्रशांत नायर कहते हैं, मुझे गर्व है कि मैं ऐसा एयरकाफ्ट उड़ा रहा हूं। ऐसा मौका किस्मत वाले को ही मिलता है। एक बार में महज ढाई घंटा ही उड़ने वाले इस विमान की रौनक देखते ही बनती है।
वहीं टाइगर मोथ भी 30 के दशक का बेसिक ट्रेनर है। इसकी रफ्तार महज 120 किलोमीटर प्रति घंटा ही है। ये कपड़े और लकड़ी से मिलकर बना है। 2012 से टाइगर मोथ वायुसेना में फिर से उड़ान भर रहा है। टाइगर मोथ को उड़ाने वाले विंग कमांडर हिमांशु कुलश्रेष्ठ कहते हैं कि इसको उड़ाने के लिए पायलट की फ्लाइंग स्किल ही काम आती है...इसे उड़ाना आसान नहीं है।
इन दोनों एयरकाफ्ट में टेल व्हील है, जिससे टेक ऑफ और लैडिंग करना आसान नहीं होता, क्योंकि अब के जहाज में नोज व्हील हैं। तभी तो जहाज को मेंनटेन कहने वाले इंजीनियर विंग कमांडर दीपेश कहते हैं, एक तो जहाज पुराना है, दूसरे इसके पार्ट्स आसानी से मिलते नहीं है और सुरक्षा पर भी ध्यान देना होता है। समझ सकते हैं कि इसे उड़ाने के लिए तैयार करने में कितनी दिक्कत आती होगी।
दोनों जहाज ब्रिटेन के बने हैं और इसे फिर से उड़ने लायक बनाया है ब्रिटेन के ही रिफ्लाइट एयरवर्क्स लिमिटेड ने। बेशक ये जहाज पुराना है, लेकिन इसे उड़ाने वाले पायलट पूरी तरह प्रशिक्षित हैं, जो वायुसेना की विरासत को शानदार तरीके से ख्याल रख रहे हैं।
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