धधकता उत्तराखंड : केंद्र सरकार का 90 फीसदी आग पर काबू पाने का दावा

धधकता उत्तराखंड : केंद्र सरकार का 90 फीसदी आग पर काबू पाने का दावा

देहरादून:

उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग थमने का नाम नहीं ले रही है। जंगल में फैलती आग को काबू करने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर जुटे हुए हैं। इसके अलावा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, राज्य पुलिस और वन विभाग की कई टीमें भी लगी हुई हैं।

केंद्र का 90 फीसदी आग पर काबू पाने का दावा
वहीं केंद्र सरकार का दावा कर रही है कि हालात अब नियंत्रण में हैं। केन्द्र सरकार की मानें तो 90 फीसदी आग पर काबू पा लिया गया है। वहीं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का दावा है कि तीन चौथाई आग पर काबू पा लिया गया है।

वायु प्रदूषण काफी बढ़ा
उत्तराखंड और हिमाचल के जंगलों में लगी आग से इलाके में वायु प्रदूषण काफी बढ़ गया है। इससे हिमालय के ग्लेशियरों का जल्दी पिघलने का खतरा भी बढ़ गया है। जंगलों में लगी आग से उठते धुएं में ब्लैक कार्बन नाम का एक केमिकल होता है, जो ग्लेशियर पर जम जाता है, जिससे ये जल्दी पिघल सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को उत्तराखंड के राज्यपाल केके पॉल से फोन पर बात की और हर संभव मदद का भरोसा दिया। साथ ही हालात का जायजा लेने के लिए केंद्र सरकार की ओर से चार विशेषज्ञों की एक टीम उत्तराखंड भेजी गई है, जो एक हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

हिमाचल के करीब एक दर्जन इलाकों में आग
उत्तराखंड के अलावा हिमाचल के करीब एक दर्जन इलाकों में जंगल की आग से नुकसान की खबर है। कसौली के एक स्कूल तक पहुंची आग को वक्त रहते बुझा दिया गया, जिससे बड़ा हादसा टल गया। जिस वक्त आग स्कूल तक पहुंची थी, उस दौरान स्कूल में करीब 600 बच्चे मौजूद थे। वहीं सोलन जिले की करीब आधा दर्जन जगहों पर आग से जान-माल का ख़तरा बना हुआ है। 12 जगहों पर बड़ी आग है और 90 जगहों पर छोटी आग है। सोलन के अलावा शिमला, सिरमौर, कुल्लू और कांगड़ा में भी जंगल की आग से काफ़ी नुकसान की ख़बर है। 3,000 दमकलकर्मी आग पर क़ाबू पाने में जुटे हैं। ख़तरनाक रास्तों की वजह से दमकलकर्मी प्रभावित इलाकों में नहीं पहुंच पा रहे हैं।

जंगलों में आग कैसे भड़की?

  • बीते दो साल से बारिश सामान्य से कम
  • 2015 के मॉनसून में बारिश काफ़ी कम रही
  • सितंबर 2015 से बारिश ना के बराबर हुई
  • सर्दियों में बर्फ़ और बरसात कम हुई
  • बारिश ना होने से जंगलों में नमी की कमी
  • अंडर ग्राउंड वॉटर रिचार्ज नहीं हो पाया
  • जंगलों में सूखी घास और पत्तियों का अंबार
  • पहाड़ों में स्ट्रीम्स और स्प्रिंग्स सूख गए
  • जनवरी में भी कुछ जगह जंगलों में आग लगी
  • आग की घटनाएं नज़रअंदाज़ की गईं
 
हमारी वन नीतियां ज़िम्मेदार
  • चीड़ के पेड़ को अंधाधुंध बढ़ने दिया गया
  • 1000 मीटर से ऊपर पेड़ों की व्यावसायिक कटान पर रोक
  • कटान पर रोक का सबसे ज़्यादा फ़ायदा चीड़ को
  • चीड़ के आसपास दूसरी वनस्पति नहीं पनपती
  • बांज-बुरांस-देवदार के जंगलों में चीड़ का फैलाव
  • मिश्रित वनस्पति के लिए चीड़ बड़ा ख़तरा
  • चीड़ की सूखी पत्तियां आग को बढ़ावा देती हैं
  • आग ज़मीन पर बड़ी ही तेज़ी से आगे फैलती है
  • चीड़ की आग पर काबू पाना मुश्किल होता
  • चीड़ के जंगल से जीव-जंतुओं को ख़ास फ़ायदा नहीं
  • चीड़ के जंगल मिट्टी के कटाव को बढ़ावा देते हैं
  • चीड़ के जंगलों में पानी रिचार्ज नहीं हो पाता

वन नीतियों में क्या हो बदलाव
  • 1000 मीटर से ऊपर चीड़ के कटान की इजाज़त मिले
  • कटान की इजाज़त मिलने पर भी सख़्त निगाह रखी जाए
  • जंगलों में चीड़ के नए रोपण पर रोक लगाई जाए
  • जंगल में चौड़ी पत्ती के पेड़ों को बढ़ावा दिया जाए
  • चौड़ी पत्तियों के पेड़ जंगल में नमी बढ़ाते हैं
  • चौड़ी पत्ती के जंगलों में वन्यजीवों की बसावट
  • बांज-बुरांस-देवदार जैसी वनस्पति को बढ़ावा मिले
  • मिश्रित वनस्पति के जंगलों में पानी रिचार्ज होता है
  • मिश्रित वनस्पति के जंगलों में मिट्टी का कटाव नहीं होता

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