यूपी : हाईकोर्ट के आदेश का असर, बाराबंकी में सैकड़ों साल पुरानी मजार को शिफ्ट किया गया

बाराबंकी के DM आदर्श कुमार सिंह कहते हैं, ''मजार को काफी गहराई से खोदकर पास के एक ईदगाह में शिफ्ट कर दिया गया है. इसके लिए प्रशासन ने मजार के मानने वालों के साथ कई दौर की बातचीत करके उन्‍हें इसके लिए राजी किया.''

यूपी : हाईकोर्ट के आदेश का असर, बाराबंकी में सैकड़ों साल पुरानी मजार को शिफ्ट किया गया

बाराबंकी में सैकड़ों साल पुरानी एक मजार पास की ईदगाह में शिफ्ट कर दी गई (प्रतीकात्‍मक फोटो)

लखनऊ:

हाईकोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार (UP Government) ने पूरे प्रदेश में में सड़कों और गलियों में कब्‍जा करके बनाए गए धार्मिक स्‍थलों को हटाने का फैसला किया है. अदालत ने कहा है कि 2011 के बाद कब्‍जा कर बने धार्मिक स्‍थान फौरन हटा दिए जाएं और 2011 से पहले वाले उसके मैनेजमेंट की जमीन पर शिफ्ट कर दिए जाएं. इसके बाद बाराबंकी में सैकड़ों साल पुरानी एक मजार पास की ईदगाह में शिफ्ट कर दी गई. हाईकोर्ट के हुकुम के बाद यह यूपी का पहला मामला है. यहां सैकड़ों साल पहले यह मजार बनाई गई थी, इसके पास एक बहुत बड़ा पेड़ भी था. जब यह मजार बनी थी तब यहां जंगल और वीराना था. अब यहां घनी बसती है. मजार की सड़क एक हाईवे से जुड़ती है, इस कारण पूरे वक्‍त रास्‍ता जाम रहता था.

बाराबंकी के DM आदर्श कुमार सिंह कहते हैं, ''मजार को काफी गहराई से खोदकर पास के एक ईदगाह में शिफ्ट कर दिया गया है. इसके लिए प्रशासन ने मजार के मानने वालों के साथ कई दौर की बातचीत करके उन्‍हें इसके लिए राजी किया.''  एक स्‍थानीय निवासी कहते हैं, ''हमको लगता है कि फतेहपुर की जनता ने सबसे पहले यूपी में सबसे पहले यह हुआ है. इसका अनुपालन हुआ है. फतेहपुर शुरुआत से हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक रहा है. उसमें दोनों पक्षों ने मिलकर, बढ़-चढ़कर सहयोग किया.'' गौरतलब है कि सड़कों पर बने धार्मिक स्‍थान हटाने का आदेश पहले सुप्रीम कोर्ट भी दे चुका है और हाईकोर्ट भी. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार से पूछा कि उसके आदेश पर क्‍या अमल हुआ, इसकी रिपोर्ट 17 तारीख को हाईकोर्ट को दें. हाईकोर्ट के आदेश में लिखा है कि 1 जनवरी 2011 के बाद बने धार्मिक स्‍थान फौरन हटा दिए जाएं. 1 जनवरी 2011 से पहले के धार्मिक स्‍थान उसके मैनेजमेंट के अनुयायियों की जमीन पर शिफ्ट हो, ऐसा संभव नहीं हो तो उन्‍हें हटा दिया जाए. 

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लखनऊ के नेहरू क्रास इलाके में मंदिर बना है. यह मंदिर पहले बहुत छोटा था, धीरे-धीरे बहुत बड़ा बन गया. रास्‍ते में यह बड़ी रुकावट है. इसी तरह नबाबों के शहर लखनऊ के लालबाग इलाके की मजार भी सड़क पर है. आसपास के लोग कहते हैं कि ये सैकड़ों साल पुरानी है तब यह सड़क पर नहीं थी. कानपुर की एक्‍सप्रेस रोड पर एक मजार बीच सड़क पर रोड डिवाइडर का काम करती है. इसी तरह कानपुर के हर्ष नगर रोड पर यह मंदिर .बिल्‍कुल सड़क पर है. नाराउना में भी मंदिर सड़क पर है. इस मंदिर के पुजारी भूपेश गुप्‍ता कहते हैं, ''जो कब्‍जे के आधार पर किए गए हैं, उनको तो हटाना चाहिए. जो सैकड़ों वर्षों से चले आ रहे हैं मंदिर-मस्जिद, उनको नहीं हटाना चाहिए. '' (बाराबंकी से सरफराज और कानपुर से अरुण की रिपोर्ट )