स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी अरिहंत (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
क्या मोदी सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर देश के पहले स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी के कमीशन होने का ऐलान हो सकता है। अगर इस बारे में किसी से पूछिए तो कोई भी मुंह खोलने को तैयार नहीं है पर दबी जुबान में ये जरूर कहते हैं कि ये कमीशन के लिये पूरी तरह तैयार है।
अरिहंत के सारे ट्रायल सफल हो चुके हैं, बस इंतजार है तो हरी झंडी का। इससे बेहतर मौका क्या हो सकता है जब 26 मई को मोदी सरकार के दो साल पूरे होंगे। इसके कमीशन के ऊपर सबकी नजर है चाहे वो चीन हो या पाकिस्तान।
भारत, अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और चीन के बाद छठा ऐसा देश हो गया है जिसने अपनी परमाणु पनडुब्बी बनाने में कामयाबी हासिल की है। छह हजार टन वजनी अरिहंत में 750 किलोमीटर से लेकर 3500 किलोमीटर तक की मारक क्षमता वाली मिसाइलें हैं। इससे पानी के अंदर और पानी की सतह से परमाणु मिसाइल दागी जा सकती है।
यही नहीं, पानी के अंदर से किसी विमान को भी निशाना बनाया जा सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2009 में अरिहंत को लॉन्च किया था और दो साल के भीतर ही कमीशन होना था लेकिन कई वजहों से देर होती रही। फिलहाल भारत के पास रूस से लीज पर ली गई परमाणु पनडुब्बी आईएनएस चक्र है।
अरिहंत के सारे ट्रायल सफल हो चुके हैं, बस इंतजार है तो हरी झंडी का। इससे बेहतर मौका क्या हो सकता है जब 26 मई को मोदी सरकार के दो साल पूरे होंगे। इसके कमीशन के ऊपर सबकी नजर है चाहे वो चीन हो या पाकिस्तान।
भारत, अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और चीन के बाद छठा ऐसा देश हो गया है जिसने अपनी परमाणु पनडुब्बी बनाने में कामयाबी हासिल की है। छह हजार टन वजनी अरिहंत में 750 किलोमीटर से लेकर 3500 किलोमीटर तक की मारक क्षमता वाली मिसाइलें हैं। इससे पानी के अंदर और पानी की सतह से परमाणु मिसाइल दागी जा सकती है।
यही नहीं, पानी के अंदर से किसी विमान को भी निशाना बनाया जा सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2009 में अरिहंत को लॉन्च किया था और दो साल के भीतर ही कमीशन होना था लेकिन कई वजहों से देर होती रही। फिलहाल भारत के पास रूस से लीज पर ली गई परमाणु पनडुब्बी आईएनएस चक्र है।
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