दो और परिवारों ने किया गीता के परिजन होने का दावा : सुषमा स्वराज

दो और परिवारों ने किया गीता के परिजन होने का दावा : सुषमा स्वराज

विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने जाहिर किया कि पाकिस्तान से महीनेभर पहले भारत लौटी गीता के माता-पिता की जारी तलाश के दौरान दो और परिवारों ने दावा किया है कि वे गीता के परिजन हैं, लेकिन इस मूक-बधिर लड़की ने इनमें से एक परिवार की तस्वीरें पहचानने से इंकार कर दिया है।

गीता के माता-पिता को तलाशने की कोशिशें जारी
गीता इन दिनों इंदौर के ‘मूक-बधिर संगठन’ के आवासीय परिसर में रह रही है। इस परिसर में गीता से भावपूर्ण मुलाकात के बाद सुषमा ने संवाददाताओं से कहा, हम गीता के माता-पिता को जल्द से जल्द तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच बिहार के एक मुस्लिम परिवार समेत दो परिवारों ने गीता के परिजन होने का दावा किया है। विदेश मंत्री ने बताया कि उन्होंने आज गीता को दोनों दावेदार परिवारों की तस्वीरें दिखायीं। इनमें शामिल मुस्लिम परिवार की तस्वीरों को देखते ही उसने इस परिवार को पहचानने से इनकार कर दिया।

तस्वीरें पहचानने की कोशिश करेगी गीता
उन्होंने बताया, दूसरे परिवार के बारे में गीता ने कहा कि वह इत्मीनान से तस्वीरें देखकर इस परिवार को पहचानने की कोशिश करेगी। सुषमा ने बताया कि इन दोनों परिवारों के अलावा बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश और पंजाब के चार परिवारों ने गीता के परिजन होने का दावा किया था। लेकिन उनका यह दावा साबित नहीं हो सका। इन परिवारों में बिहार के जनार्दन महतो का परिवार शामिल है, जिसका डीएनए नमूना गीता के डीएनए नमूने से मेल नहीं खाया।

विदेशमंत्री ने गीता को दुलारते हुए कहा, मेरी तलाश तब तक बंद नहीं होगी, जब तक मैं गीता को उसके माता-पिता से मिलवा नहीं देती। मैं इस मामले में आशावादी हूं। मुझे भरोसा है कि इस लड़की के माता-पिता मिल जाएंगे।

गीता अपनों के बीच खुश है
सुषमा ने किसी का नाम लिए बगैर उन आलोचकों को भी जवाब दिया, जो गीता को इंदौर में मूक-बधिरों के लिए चलायी जा रही संस्था में रखे जाने के बारे में सरकार के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, कुछ लोग इस बारे में पूछते हैं कि हमने गीता को पाकिस्तान की एक संस्था (ईधी फाउंडेशन) से लाकर भारत की एक संस्था में भेज दिया। लेकिन इस लड़की के पाकिस्तान की संस्था में रहने और उसके अपने वतन की संस्था में रहने में जमीन-आसमान का फर्क है। विदेश मंत्री ने कहा, गीता पाकिस्तान की जिस संस्था में रहती थी, वह मूक-बधिरों के लिए संचालित संस्था नहीं है। इंदौर में मूक-बधिरों के लिए चलायी जा रही संस्था में अपने जैसे नौजवानों के साथ रहकर उसमें इस बात का भरोसा जगेगा कि बोलने और सुनने की क्षमता के बगैर भी वह स्वावलंबी तौर पर अच्छी जिंदगी जी सकती है। सुषमा ने कहा कि इंदौर की संस्था में गीता अपनों के बीच खुश है और बड़े आराम से है। उसे इस संस्था में ‘धर्म के माता-पिता और भाई-बहन’ मिल गये हैं। उसने पिछले दिनों इस संस्था में जैसी दिवाली मनायी, वैसी दिवाली उसने कभी नहीं मनायी थी। उन्होंने कहा कि इंदौर की संस्था में गीता सांकेतिक भाषा के साथ कम्प्यूटर और पेंटिंग सीख रही है। यह प्रशिक्षण उसकी जिंदगी का बड़ा सहारा बनेगा।

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गीता पाकिस्तान नहीं जाना चाहती
सुषमा ने एक सवाल पर कहा, गीता ने मुझे महात्मा गांधी और भारत का राष्ट्रध्वज तिरंगा दिखाते हुए इशारों की जुबान में बताया कि उसका स्वदेश लौटना बेहद जरूरी था और अब वह पाकिस्तान जाना नहीं चाहती। हालांकि, वह ईधी फाउंडेशन के लोगों के प्रति आदर का भाव जताती है। विदेश मंत्री ने गीता की स्वदेश वापसी में मदद के लिये पाकिस्तान सरकार और ईधी फाउंडेशन का शुक्रिया अदा किया।