
अगरतला:
त्रिपुरा विधानसभा में एक विचित्र दृश्य उस समय देखने को मिला जब तृणमूल कांग्रेस का एक विधायक, अध्यक्ष की गदा (अध्यक्षीय शक्ति की प्रतीक दंडिका) लेकर सदन से बाहर भाग गया. इससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई. यह घटना तब हुई जब सत्ताधारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेताओं के व्याभिचार में कथित संलिप्तता के मुद्दे पर सदन में सदस्य तीखी बहस कर रहे थे.
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के विधायक अध्यक्ष के आसन के निकट पहुंच गए और राज्य के वन मंत्री नरेश जमतिया के खिलाफ नारे लगाने लगे.
अचानक तृणमूल कांग्रेस विधायक सुदीप रॉय बर्मन ने अध्यक्ष की गदा को कब्जे में ले लिया और उसे लेकर सदन से बाहर चले गए जिससे सदन की कार्यवाही रुक गई.
मार्शल के नेतृत्व में सदन के 'वाच एंड वार्ड' कर्मचारियों ने विधायक का पीछा किया और अध्यक्ष रामेन्द्र चंद्र देबनाथ के उनके कक्ष में जाने से आधा मिनट पहले गदा वापस ले आए.
बाद में अध्यक्ष ने अपने कक्ष में संवाददाताओं से कहा,बिना पूर्व नोटिस के विधायक बर्मन ने शून्यकाल के दौरान व्यभिचार का मुद्दा उठाया. इसके बाद विपक्षी सदस्य सदन के कूप में पहुंच गए और नारे लगाने शुरू कर दिए. अचानक बर्मन गदा के साथ सदन से बाहर चले गए. बर्मन को ऐसा नहीं करना चाहिए था.
अवकाश के बाद जब सदन की कार्यवाही पुन: शुरू हुई तो देबनाथ ने इस कृत्य की निंदा की और कहा, यह संसदीय परंपरा, प्रथा और प्रक्रिया के खिलाफ है.
जनवरी, 1972 में त्रिपुरा के पृथक पूर्ण राज्य बनने के बाद से सदन की कार्यवाही के दौरान विपक्षी विधायकों द्वारा चांदी की प्रतीकात्मक गदा लेकर भागने की यह तीसरी घटना है.
यहां देखिए वीडियो
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के विधायक अध्यक्ष के आसन के निकट पहुंच गए और राज्य के वन मंत्री नरेश जमतिया के खिलाफ नारे लगाने लगे.
अचानक तृणमूल कांग्रेस विधायक सुदीप रॉय बर्मन ने अध्यक्ष की गदा को कब्जे में ले लिया और उसे लेकर सदन से बाहर चले गए जिससे सदन की कार्यवाही रुक गई.
मार्शल के नेतृत्व में सदन के 'वाच एंड वार्ड' कर्मचारियों ने विधायक का पीछा किया और अध्यक्ष रामेन्द्र चंद्र देबनाथ के उनके कक्ष में जाने से आधा मिनट पहले गदा वापस ले आए.
बाद में अध्यक्ष ने अपने कक्ष में संवाददाताओं से कहा,बिना पूर्व नोटिस के विधायक बर्मन ने शून्यकाल के दौरान व्यभिचार का मुद्दा उठाया. इसके बाद विपक्षी सदस्य सदन के कूप में पहुंच गए और नारे लगाने शुरू कर दिए. अचानक बर्मन गदा के साथ सदन से बाहर चले गए. बर्मन को ऐसा नहीं करना चाहिए था.
अवकाश के बाद जब सदन की कार्यवाही पुन: शुरू हुई तो देबनाथ ने इस कृत्य की निंदा की और कहा, यह संसदीय परंपरा, प्रथा और प्रक्रिया के खिलाफ है.
जनवरी, 1972 में त्रिपुरा के पृथक पूर्ण राज्य बनने के बाद से सदन की कार्यवाही के दौरान विपक्षी विधायकों द्वारा चांदी की प्रतीकात्मक गदा लेकर भागने की यह तीसरी घटना है.
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