
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत पार्टी के शीर्ष नेताओं ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों से मुलाकात की और दोनों संगठनों के बीच तथा साथ ही सरकार और संघ के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के साथ ही कई सारे मुद्दों पर चर्चा की।
चार घंटे से अधिक समय तक चली इस बैठक को इसलिए भी अधिक महत्व दिया जा रहा है क्योंकि शाह के भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी संभालने के बाद इतने उच्च स्तर की यह पहली बैठक थी। आने वाले दिनों में संगठन में कई महत्वपूर्ण पदों पर नई नियुक्तियां होने की संभावना है क्योंकि कई मौजूदा पदाधिकारी नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बनाए जा चुके हैं और उन्हें पार्टी की जिम्मेदारियों से मुक्त किया जाना है।
गडकरी के निवास पर हुई बैठक में शाह के अतिरिक्त पूर्व पार्टी अध्यक्षों और मौजूदा कैबिनेट मंत्रियों राजनाथ सिंह तथा नितिन गडकरी ने भी शिरकत की। बैठक में संघ के सभी शीर्ष नेता मौजूद थे केवल इसके प्रमुख मोहन भागवत को छोड़कर।
संघ के वरिष्ठता क्रम में भागवत के बाद दूसरे नंबर पर आने वाले भैय्याजी जोशी, सुरेश सोनी और दत्तात्रेय होसाबाले भी बैठक में मौजूद थे।
पार्टी के एक नेता ने बताया, 'चर्चा के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दे आए। संघ के साथ समन्वय महत्वपूर्ण मुद्दा था और सत्ता में आने के बाद से ही मोदी इसके महत्व पर जोर दे रहे हैं।'
मोदी ने संघ के नेताओं को आज अपने आवास पर रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया है। बैठक में इस वर्ष महाराष्ट्र और हरियाणा समेत कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव का मुद्दा भी चर्चा के लिए आया।
भाजपा सूत्रों ने बताया कि मोदी संघ के साथ संबंधों को मजबूत बनाए जाने के इच्छुक हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान संघ के साथ अच्छे रिश्ते नहीं होना पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हुआ और 2004 के आम चुनाव में पार्टी की हार का संभवत: यह एक कारण था।
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