अरविंद बनाम योगेंद्र-प्रशांत की लड़ाई तेज हो रही है और पार्टी के भीतर की ढंकी खाई भी अब उजागर हो रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण ने एनडीटीवी से कहा, 'मैंने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी को चिट्ठी लिखकर आगाह किया है कि पार्टी के अंदर कई तरह की समस्याएं हैं और पार्टी चुनौतियों से कैसे निबटे इस पर मैंने अपने सुझाव भी रखे हैं।' दरअसल प्रशांत भूषण ने अपनी चिट्ठी यही सवाल उठाए हैं।
वहीं प्रशांत के पिता और पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे शांति भूषण ने एनडीटीवी से बात करते हुए ये कह कर कोई टिप्पणी नहीं दी कि वे फिलहाल पार्टी में कोई पदाधिकारी नहीं है।
उधर पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव ने खुद पर लगे आरोपों का जवाब ट्वीट के जरिए दिया। योगेंद्र ने कहा, 'नई नई कहानियां गढ़ी जा रही हैं, आरोप मढ़े जा रहे हैं, षड्यंत्र खोजे जा रहे हैं, ये सब पढ़ के हंसी भी आती है और दुख भी... हंसी इस लिए आती है कि कहानियां इतनी मनगढ़ंत और बेतुकी हैं, लगता है कहानी गढ़ने वालों के पास टाइम कम और कल्पना ज्यादा है। इन आरोपों और कहानियों की नीयत को देखकर दुख होता है।'
दरअसल दोनों नेताओं ने पार्टी में अंदरूनी आचरण समिति बनाने की ज़रूरत का सवाल उठाया है। उन्होंने आचरण समिति से 50 लाख के चार चेकों की जांच की मांग भी है। साथ ही, उन्होंने पार्टी को पारदर्शी बनाने, पीएसी का पुनर्गठन कर उसमें क्षेत्रीय, लैंगिक अनुपात बढ़ाने की ज़रूरत और पार्टी सदस्यों के लिए अनुशासन संहिता बनाने की ज़रूरत का सवाल भी उठाया है।
अब तक आम आदमी पार्टी के नेता बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों में अंदरूनी लोकतंत्र की कमी पर सवाल उठाते रहे हैं, बड़े दलों के नेताओं पर तानाशाही रूख अख्तियार करने का आरोप लगाते रहे हैं। अब पार्टी के अंदर पार्टी के अंदरूनी कामकाज के तौर-तरीकों पर जिस तरह से सवाल उठ रहे हैं उसके बाद यह देखना अहम होगा कि पार्टी लीजरशिप इन सवालों से कैसे निपटती है।
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