खास बातें
- शीतकालीन सत्र के शुरुआती चार दिन भारी हंगामे का सबब बने मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का मुद्दा अगले हफ्ते संसद में फिर छाया रहेगा और दोनों ही सदनों में इस मुद्दे पर ‘शक्ति परीक्षण’ होगा।
नई दिल्ली: शीतकालीन सत्र के शुरुआती चार दिन भारी हंगामे का सबब बने मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का मुद्दा अगले हफ्ते संसद में फिर छाया रहेगा और दोनों ही सदनों में इस मुद्दे पर ‘शक्ति परीक्षण’ होगा।
राज्यसभा ने तय किया कि इस मुद्दे पर छह और सात दिसंबर को चर्चा होगी। यह चर्चा मत विभाजन वाले नियम के तहत हो रही है। लोकसभा में चार और पांच दिसंबर को चर्चा तय है। निचले सदन में भी चर्चा के बाद मत विभाजन होगा।
संप्रग के महत्वपूर्ण समर्थक दल सपा ने इस मुद्दे पर मिले जुले संकेत दिए हैं। अटकलों का बाजार गर्म है कि क्या वह अगले सप्ताह मत विभाजन में सरकार के पक्ष में मतदान करेगी।
राज्यसभा में सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा है कि उच्च सदन में यदि सरकार यह मुद्दा लाती है तो हम एफडीआई के खिलाफ मतदान करेंगे।
रामगोपाल के बयान के कुछ ही घंटे बाद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्टता नहीं दिखाई।
उधर, संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने उम्मीद जताई है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन संसद में इस मुद्दे पर होने वाले शक्ति प्रदर्शन में सफल रहेगा।
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि हम सरकार के एफडीआई फैसले के खिलाफ हमारे साथ संसद के बाहर संघर्ष करने वाले सभी राजनीतिक दलों और जनता से अपील करेंगे कि वे देशहित में संसद के भीतर भी समर्थन करें।
इस बीच, भाजपा को यकीन है कि वाम दल, राजग के घटक जदयू, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना के अलावा असम गण परिषद, तेदेपा, अन्नाद्रमुक, इनेलोद, तृणमूल कांग्रेस, बीपीएफ, झामुमो और कुछ निर्दलीय सदस्य एफडीआई के खिलाफ मतदान करेंगे।