फाइल फोटो
नई दिल्ली:
मराठवाड़ा में सूखे का प्रकोप झेल रहे लोगों का संकट आने वाले दिनों में और बढ़ने वाला है। तापमान बढ़ने के साथ पानी का संकट और गहरा होता जाएगा।
मौसम विभाग के मुताबिक इस इलाके में तापमान 40 डिग्री से 41 डिग्री के आसपास पहुंच चुका है और अगले एक हफ्ते में मराठवाड़ा समेत पूरे महाराष्ट्र में तापमान 1 से 2 डिग्री और बढ़ने का अनुमान है। एनडीटीवी से बातचीत में मौसम विभाग के डायरेक्टर बी पी यादव ने ये बात कही।
तेज़ गर्मी की वजह से महाराष्ट्र में जलाशय तेजी से सूखते जा रहे हैं। केन्द्रीय जल आयोग के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र के चार बड़े जलाशयों -- जायकवाड़ी, येलडारी, भीमा और गिरना में अब इस्तेमाल करने लायक पानी भी नहीं बचा है। यहां पानी का स्तर उसकी लाइव स्टोरेज कैपेसिटी के शून्य स्तर पर पहुंच गया है।
अब केन्द्रीय जल आयोग ने महाराष्ट्र समते सभी सूखा-ग्रस्त राज्यों को एडवाइज़री जारी की है। एनडीटीवी से बातचीत में केन्द्रीय जल आयोग के चेयरमैन जी एस झा ने कहा, "हमने राज्यों को हिदायत दी है कि वो ग्राउंड वाटर और जलाशयों में बचे पानी का तर्कसंगत इस्तेमाल करें...चार बड़े जलाशयों में सिंचाई के लायक पानी भी नहीं बचा है"।
तेज़ गर्मी का सीधा मतलब है कि बचे हुए जलाशयों में पानी का स्तर आने वाले दिनों में और तेज़ी से घटेगा। मॉनसून अब भी क़रीब सात हफ़्ते दूर है। यानी हालात से निपटना प्रशासन के लिए और चुनौतीपूर्ण साबित होने वाला है।
मौसम विभाग के मुताबिक इस इलाके में तापमान 40 डिग्री से 41 डिग्री के आसपास पहुंच चुका है और अगले एक हफ्ते में मराठवाड़ा समेत पूरे महाराष्ट्र में तापमान 1 से 2 डिग्री और बढ़ने का अनुमान है। एनडीटीवी से बातचीत में मौसम विभाग के डायरेक्टर बी पी यादव ने ये बात कही।
तेज़ गर्मी की वजह से महाराष्ट्र में जलाशय तेजी से सूखते जा रहे हैं। केन्द्रीय जल आयोग के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र के चार बड़े जलाशयों -- जायकवाड़ी, येलडारी, भीमा और गिरना में अब इस्तेमाल करने लायक पानी भी नहीं बचा है। यहां पानी का स्तर उसकी लाइव स्टोरेज कैपेसिटी के शून्य स्तर पर पहुंच गया है।
अब केन्द्रीय जल आयोग ने महाराष्ट्र समते सभी सूखा-ग्रस्त राज्यों को एडवाइज़री जारी की है। एनडीटीवी से बातचीत में केन्द्रीय जल आयोग के चेयरमैन जी एस झा ने कहा, "हमने राज्यों को हिदायत दी है कि वो ग्राउंड वाटर और जलाशयों में बचे पानी का तर्कसंगत इस्तेमाल करें...चार बड़े जलाशयों में सिंचाई के लायक पानी भी नहीं बचा है"।
तेज़ गर्मी का सीधा मतलब है कि बचे हुए जलाशयों में पानी का स्तर आने वाले दिनों में और तेज़ी से घटेगा। मॉनसून अब भी क़रीब सात हफ़्ते दूर है। यानी हालात से निपटना प्रशासन के लिए और चुनौतीपूर्ण साबित होने वाला है।
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