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This Article is From May 21, 2020

महामारी पर भारी बेरोजगारी, कभी 1 लाख महीना कमाने वाले आज मनरेगा की दिहाड़ी से चला रहे हैं गुजारा

कोरोनावायरस के चलते किए गए लॉकडाउन की वजह से सभी सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. एक अनुपात के मुताबिक देश केकरीब दो लाख शिक्षकों को पिछले दो तीन महीनों से बिना सेलरी नहीं मिली है. आईटी प्रोफेशनल्स की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है.

महामारी पर भारी बेरोजगारी, कभी 1 लाख महीना कमाने वाले आज मनरेगा की दिहाड़ी से चला रहे हैं गुजारा
लॉकडाउन की वजह से बेरोजगारी की मार शिक्षित वर्ग पर भी अच्छी खासी पड़ी है.
हैदराबाद:

कोरोनावायरस संक्रमण के चलते देशभर में जारी लॉकडाउन ने पूरे देश में बेरोजगारों की इतनी बड़ी खेप खड़ी कर दी है
कि देश का कोई कोना अछूता नहीं रहा. लॉकडाउन के चलते केवल असंगठित क्षेत्र के मजदूर ही बेरोजगार नहीं हुए हैं. बेरोजगारी की मार शिक्षित वर्ग पर भी पड़ी है. आज स्थिति ऐसी है कि देश का भविष्य बनाने वाले शिक्षकों और लाखों कमाने वाले आईटी प्रोफेशनल्स को भी मनरेगा की दिहाड़ी के भरोसे जीवन यापन करना पड़ रहा है. 

तेलंगाना के चिरंजीवी और उनकी पत्नी पद्मा को रोज सुबह अपने काम की साइट पहुंचना होता है. ये दोनों थोड़े दिन पहले तक टीचर थे. चिरंजीवी ने पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ बीएड किया है वह सोशल साइंस पढ़ाते हैं. पद्मा ने एमबीए किया और वह भी एक प्राइमरी टीचर के रूप में कार्यरत थीं. लेकिन पिछले 2 महीनों से इन्हें सैलरी नहीं मिली. इसके चलते इन्हें अपना घर चलाने के लिए मनरेगा मजदूरी करनी पड़ रही है. 

चिरंजीवी कहते हैं, '200-300 रुपए से हम कम से कम अपने परिवार के सब्जी तो खरीद पाते हैं.' चिरंजीवी और पद्मा का कहना है कि हमारे परिवार में दो बच्चों और माता पिता को मिलाकर कुल 6 लोग हैं. बिना सैलरी के हम भला कैसे गुजारा करें. कोरोनावायरस के चलते किए गए लॉकडाउन की वजह से सभी सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. एक अनुपात के मुताबिक देश के करीब दो लाख शिक्षकों को (जिनमें 10 हजार मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों और 8 हजार गैर मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों के टीचर शामिल हैं) पिछले दो तीन महीनों से बिना सैलरी नहीं मिली है.

यह हाल केवल शिक्षकों का नहीं है, आईटी कंपनियों में काम करने वाले प्रोफेशनल्स की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है. कुछ दिनों पहले तक 1 लाख रुपये प्रतिमाह सैलरी लेने वाली स्वप्ना की हाल भी कुछ ऐसा है. स्वप्ना आज मजदूरी करने के लिए घर से निकलती है तो उसके घर में चार पैसे आते है.

स्वप्ना बताती है, 'मैं केवल अपनी बचत के भरोसे ही चल सकती थी, मुझे यहां मजदूरी करने की कोई जरूरत नहीं थी लेकिन आखिर कब तक मेरी सेविंग्स मेरे पास रहेंगी? आज पूरी दुनिया और भविष्य अनिश्चित स्थिति में है. मुझे अपनी बचत को कल किसी आपातस्थिति के लिए बचा कर रखना होगा. इसलिए जब मेरे ससुराल वाले काम पर जा रहे हैं, तो मैं भी उनके साथ जा रही हूं, इसलिए मुझे कुछ अतिरिक्त आय मिल सकती है. किसी भी काम को करने में कोई शर्म नहीं है, मुझे क्यों सोचना चाहिए क्योंकि मैं एक सॉफ्टवेयर इंजिनियर हूं मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए? जीवित रहने के लिए कुछ भी करना चाहिए.'
 

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