यह ख़बर 05 सितंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

एक शिक्षक ऐसा भी : पढ़ाने के लिए पार करते हैं नदी

खास बातें

  • आज शिक्षक दिवस है और इस मौके पर बात केरल के एक ऐसे शिक्षक की जो ना सिर्फ स्कूल जाने के लिए नदी तैर कर पार करता है, बल्कि अपने बच्चों को पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण जैसे अहम मसलों पर जागरुक भी बनाता है।
मलप्पुरम:

आज शिक्षक दिवस है और इस मौके पर बात केरल के एक ऐसे शिक्षक की जो ना सिर्फ स्कूल जाने के लिए नदी तैर कर पार करता है, बल्कि अपने बच्चों को पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण जैसे अहम मसलों पर जागरुक भी बनाता है।

ये किसी गुजरे ज़माने की बात नहीं आज की हकीक़त है। चालीस साल के अब्दुल मलिक प्राइमरी स्कूल में शिक्षक और चार बच्चों के पिता हैं, जो बीते 20 सालों से ऐसे ही पानी से गुजरते हुए अपने स्कूल तक पहुंचते हैं।

केरल के मालाप्पुरम जिले के एक गांव में रहने वाले मलिक
एक प्लास्टिक में अपने कपड़े, लंच बॉक्स और कुछ किताबें साथ रखते हैं और एक टूब की मदद से पूरी नदी तैरकर पार करते हैं।

फिर नदी किनारे कपड़े पहन फौरन दस मिनट की चढ़ाई पार कर जाते हैं।

उनका कहना है कि, अगर मैं बस से जाऊं तो 12 किमी की दूरी तय करने में तीन घंटे लगते हैं, जबकि तैरकर नदी पार करना आसान है और मैं वक्त पर स्कूल पहुंच जाता हूं।

उनके छात्र ही उनकी ताकत हैं, मलिक मास्टर बच्चों को नदी में कचरा फेंकने, अवैध खनन जैसी बातों को लेकर जागरुक बनाते हैं और कई बार अपने अनुभव से प्रदूषण के बारे में जानकारियां देते हैं।

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इसमें कोई हैरानी की बात नहीं कि इस स्कूल के पांचवी क्लास के बच्चे शिक्षक की देखरेख में तैरना सीखने नदी में जाते हैं।
मलिक मास्टर की वजह से ये खासा लोकप्रिय भी हुआ है।