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This Article is From Aug 04, 2015

इन 7 आधारों से साबित होता 26/11 में पाकिस्तान का हाथ था

इन 7 आधारों से  साबित होता 26/11 में पाकिस्तान का हाथ था
तारिक खोसा की यह तस्वीर 'डॉन' से ली गई है....
26/11 हमले को लेकर पूर्व पाकिस्तानी जांचकर्ता तारिक खोसा ने मशहूर पाकिस्‍तानी अखबार डॉन में प्रकाशित लेख में इस घटना से संबंधित कुछ प्रमुख तथ्यों की ओर ध्यान आकर्षित किया है जिनसे प्रमाणित होता है कि हमला पाकिस्तान की जमीन से प्रायोजित था और उसमें पाक के आतंकियों का हाथ था। लगभग यही तथ्य भारत ने भी रखे थे। ये तथ्य हैं:

1. अजमल कसाब पाकिस्तानी नागरिक था, जिसके निवास और आरंभिक शिक्षा के स्थल के साथ-साथ प्रतिबंधित संगठन में शामिल होने के स्थान का पता जांचकर्ताओं ने लगा लिया था।

2. लश्कर-ए-तैयबा के आंतकियों ने सिंध के थाट्टा के पास ट्रेनिंग ली थी और यहीं से सुमद्र के रास्ते भारत गए थे। जांचकर्ताओं ने ट्रेनिंग कैंप की पहचान कर ली थी और उसे संरक्षित किया था। मुंबई हमले में प्रयुक्त विस्फोटक उपकरणों के केसिंग भी इसी ट्रेनिंग कैंप से बरामद हुए थे और उनका मिलान भी हो गया था।

3. भारतीय ट्रॉलर को हाइजैक करने के लिए आतंकियों द्वारा प्रयुक्त फिशिंग ट्रॉलर जिससे वे मुंबई गए थे, उसे हार्बर में वापस लाया गया था और फिर उसे पेंट करके छिपा दिया गया था। जांचकर्ताओं ने उसे भी बरामद किया था और उसका आरोपियों से संबंध भी स्थापित हो गया था।

4. आतंकियों द्वारा मुंबई बंदरगाह के पास छोड़ी गई नौका के इंजन में पेटेंट नंबर अंकित था, जिससे जांचकर्ताओं ने यह पता लगाया कि इसे जापान से लाहौर आयात किया गया था और फिर उसे कराची स्पोर्ट्स शॉप लाया गया था, जिसे लश्कर-ए-तैयबा से जुडे आतंकी ने नौका सहित खरीदा था।

5. कराची स्थित ऑपरेशन रूम जहां से इसे संचालित किया जा रहा था, उसकी पहचान कर ली गई थी और उसे संरक्षित भी किया गया था। वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल के माध्यम से किए गए संचार का भी पता लगा लिया गया था।       

6. कथित कमांडर और उसके सहायकों की पहचान कर ली गई थी और उन्हें गिरफ्तार किया गया था। 26/11 के मास्टरमाइंड जकी उर रहमान लखवी को उसके साथियों के साथ 2008 में गिरफ्तार किया गया। उन पर अभी भी ट्रायल चल रहा है जबकि लखवी को इस साल की शुरुआत में ही जमानत दे दी गई।

7. कई विदेशी फाइनेंसर्स और सुविधाएं मुहैया कराने वाले लोगों को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें ट्रायल का सामना करने के लिए लाया गया था।


यह लेख पहली बार 'डॉन' में प्रकाशित हुआ है

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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