विज्ञापन
This Article is From Aug 26, 2016

सरोगेसी का हब कहे जाने वाले आणंद में नए बिल को लेकर है नाराजगी

सरोगेसी का हब कहे जाने वाले आणंद में नए बिल को लेकर है नाराजगी
प्रतीकात्मक फोटो
अहमदाबाद: 35 साल की मनीषा दूसरी बार सरोगेट मदर बनने जा रही हैं. इस बार एक भारतीय युगल के लिए जबकि पहली बार उन्होंने एक विदेशी कपल के लिए सरोगेट बच्चा पैदा किया था. पहली बार कोख किराये पर देने पर उन्हें 6 लाख रुपये मिले थे. इस बार भी सब ठीक रहा तो अच्छी खासी रकम मिलेगी.

मनीषा के पांच बच्चे हैं और पति अहमदाबाद में एक शोरूम में नौकरी करते हैं. उसे लगता है कि सरोगेट मदर बनकर वह अपने परिवार की काफी आर्थिक मदद कर लेंगी. आज के समय में जहां घर चलना ही मुश्किल है वहीं इन पैसों से वह एक घर की मालकिन बन गई हैं.

उन्होंने पहली बार सरोगेट मदर बनने पर मिले पैसों से एक घर खरीदा है और कुछ लोन लिया है, जो दूसरी बार पैसे मिलेंगे तो वह लोन की भरपाई करने का मन बना चुकी हैं.

इनके जैसी ही 33 साल की महिला हैं मीना. मीना के पति आणंद में ही एक छोटी फैक्टरी में मज़दूरी करते हैं. तनख्वाह बहुत ही मामूली है ऐसे में दो बच्चों की परवरिश भी बड़ा बोझ बन सकती है. इसीलिए मीना पहली बार सरोगेट मदर बनने जा रही हैं.

इन सभी में नए बिल को लेकर नाराज़गी है, क्योंकि ये या इनके जैसी महिलाएं सरोगेट मदर नहीं बन पाएंगी. महत्वपूर्ण है कि आणंद देश में सरोगेट मदर्स का एक तरह से हब बन गया है. अगले कुछ महीनों में करीब 50 सरोगेट मदर अकेले आणंद से ही हैं.

नए बिल के मुताबिक, विदेशी कपल भारत में सरोगेट मदर के जरिए बच्चा पैदा नहीं करवा सकेंगे. साथ ही कोई भी महिला एक से ज्यादा बार सरोगेट मदर नहीं बन पाएंगी. दूसरा कोई भी महिला सरोगेट मदर नहीं बन पाएंगी, बनने के लिए सिर्फ नजदीकी रिश्तेदार ही अपनी कोख दे सकती है, वह भी निसंतान दंपति को ही.

देश में सरोगेट मदर का चलन बढ़ाने वाली डॉक्टर नयना पटेल कहती हैं कि नए कानून से संभावित सरोगेट मदर्स को तो समस्याएं हैं ही, लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी ऐसे कपल्स को होंगी, जिनके बच्चे नहीं हो पा रहे और ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.

उनका तर्क है कि ऐसी महिलाएं क्या करें जिनके नजदीकी रिश्तेदारी में कोई सक्षम महिला नहीं है. आजकल विभक्त परिवारों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. ऐसे में जो महिलाएं बच्चे पैदा करने के लिए किसी वजह से सक्षम नहीं हैं उनके लिए जीवन में शादी भी मुश्किल हो जाएगी और ऐसे परिवारों के लिए बच्चों का सुख सिर्फ सपना हो जाएगा.

आणंद में भले ही इस कानून का विरोध हो रहा हो लेकिन डॉक्टर्स का एक बड़ा तबका ऐसा भी है, जो इसे सही मानते हैं. आखिर दुनिया के ज्यादातर देशों में जरूरी कानून हैं. अगर कोख को किराये पर देना एक व्यापार बन गया है तो उसके लिए कानून जरूरी है. एक मान्यता ऐसी भी है कि कानून की गैर-हाजरी में कई बार गरीब महिलाओं का शोषण भी होता था. कई बार सरोगेट मदर के लिए महिला ने अपनी जान जोखिम में डाली है और मान लो कि अंतिम वक्त में किसी मेडीकल या अन्य कारणों से बच्चा पैदा नहीं हो सका तो उसके पैसों का क्या? ऐसी महिलाओं की सुरक्षा का क्या?

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
सरोगेसी, आणंद, गुजरात, Surrogate Bill, Gujarat, Anand, Surrogacy Bill
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com