उच्चतम न्यायालय केन्द्रीय शिक्षण संस्थाओं में पिछड़े वर्गों के आरक्षण के कोटे में से अल्पसंख्यकों (धार्मिक आधार पर) को 4.5 फीसदी कोटा देने के निर्णय पर अमल हेतु अंतरिम आदेश के लिए केन्द्र सरकार के अनुरोध पर सुनवाई के लिए बुधवार को सहमत हो गया।
अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी कोटे को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया था।
न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केन्द्र सरकार से कहा कि न्यायालय के पहले के आदेश में सुधार के लिए ठीक से अर्जी दायर की जाए। न्यायालय ने इससे पहले उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
सॉलिसीटर जनरल मोहन पराशरण ने दलील दी कि इसी तरह के एक अन्य मामले में शीर्ष अदालत ने मामले का निबटारा होने तक आंध्र प्रदेश सरकार को राज्य में पिछड़े मुस्लिमों के लिए आरक्षण पर अमल करने की अनुमति दे दी थी।
उच्च न्यायालय ने जिस याचिकाकर्ता की याचिका पर केन्द्र का निर्णय निरस्त किया था, उसने इसका विरोध करते हुए कहा कि केन्द्र का यह कदम चुनावों के मद्देनजर यह राजनीति से प्रेरित है।
लेकिन न्यायाधीशों ने कहा कि वे इस मामले पर गौर करेंगे। शीर्ष अदालत ने जून 2012 को अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी कोटे का निर्णय निरस्त करने के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
संप्रग सरकार ने 22 दिसंबर, 2011 को अल्पसंख्यक समुदाय में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 4.5 फीसदी उप-कोटे की घोषणा की थी। यह आरक्षण अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 27 फीसदी आरक्षण में से ही दिया जाना है।
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने 28 मई, 2012 को अल्पसंख्यकों के लिए उप-कोटे का सरकार का निर्णय निरस्त करते हुए कहा था कि इस मामले में केन्द्र सरकार ने बहुत ही हल्के ढंग से काम किया है।
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