
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है नंबी नारायणन को 50 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिये जाएं
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1994 लगे थे जासूसी के आरोप
सुप्रीम कोर्ट ने दिया है मुआवजे का आदेश
जांच भी बैठाई
जासूसी कांड में दोषमुक्त हुए ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण को SC ने 50 लाख के मुआवजा का आदेश
इस वैज्ञानिक की गैरकानूनी गिरफ्तारी के लिये सीबीआई ने इन अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था. इसरो का 1994 का यह जासूसी कांड भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के बारे में चुनिन्दा गोपनीय दस्तावेज दो वैज्ञानिकों और मालदीव की दो महिलाओं सहित चार अन्य द्वारा दूसरे देशों को हस्तांतरित करने के आरोपों से संबंधित है. शुरू में इस मामले की जांच राज्य पुलिस ने की थी परंतु बाद में इसे केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया गया था जिसने पाया कि ऐसा कोई जासूसी कांड हुआ ही नहीं था. यह प्रकरण राजनीतिक खींचतान का नतीजा था जिसमें कांग्रेस के एक वर्ग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. के. करूणाकरण को इस मुद्दे पर अपना निशाना बनाया और जिस वजह से उन्हें बाद में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
पीएम की घोषणा के बाद इसरो के वैज्ञानिकों में खुशी की लहर
शीर्ष अदालत ने 1998 में इस मामले में आरोप मुक्त किये गये नारायणन और अन्य को एक लाख रूपए का मुआवजा देने का आदेश राज्य सरकर को दिया था. नारायणन ने बाद में इस मामले में उन्हें पहुंची मानसिक यंत्रणा और यातना के लिये राज्य सरकार से मुआवजे की मांग करते हुये राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में यचिका दायर की थी. आयोग ने नारायणन को मार्च 2001 में दस लाख रूपए का अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दिया था.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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