
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि किसान की खुदकुशी के बाद मुआवजा देना समस्या का हल नहीं है. सरकार को लोन के प्रभाव को कम करने की जरूरत है. सरकार को पूरी ताकत किसानों के लिए तैयार कल्याण योजनाओं को कागजों से निकालकर अमल करने में झोंकनी होगी. सुप्रीम कोर्ट सरकार के खिलाफ नहीं लेकिन सरकार को योजनाओं को अमली जामा पहनाना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप सही दिशा में काम कर रहे है लेकिन किसानों के आत्म हत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि हम इस केस की सुनवाई बंद नहीं करने जा रहे हैं. इस दिशा में काम करने के लिए जो भी कदम उठाने की जरूरत है आप उठाइये. कोर्ट आपके साथ कदम मिलाकर चलेगा. अगर किसी भी किसान को लोन दिया जाता है तो पहले उसका फसल बीमा होगा तो किसान लोन डिफाल्टर कैसे होगा? अगर फसल बर्बाद होती है तो लोन चुकाने का जिम्मा बीमा कंपनियों का होगा. समस्या ये भी है कि बैंक योजनाओं को लेकर किसान तक नहीं पहुंच पाते. ऐसे में किसान बिचौलिए के चंगुल में फंस जाते हैं. आप इस दिशा में काम करना चाहते हैं लेकिन क्या करना चाहते है ये बताइये और कैसे?
कोर्ट ने कहा कि ये गंभीर मामला है और रातों-रात हल नहीं निकाला जा सकता. इसलिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को छह महीने का वक्त दिया है ताकि इन योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू कर सकें. वहीं केंद्र की ओर से AG केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना से 12 करोड़ में से 5.34 करोड़ किसान जोड़े गए हैं, जोकि 40 फीसदी है. किसानों को इन योजनाओं के बारे में विभिन्न स्तर पर जानकारी दी जा रही है. यहां तक कि पंचायत स्तर पर भी योजनाओं का प्रचार किया जा रहा है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि किसानों की खुदकुशी और उनकी फसल के बीमे को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं और भविष्य में क्या योजनाएं हैं?
दरअसल एक जनहित याचिका में गुजरात में किसानों की खुदकुशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट से दिशा निर्देश जारी करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को भी लागू नहीं किया जा रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट ने इसका दायरा बढ़ाते हुए सभी राज्यों और केंद्र सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा था.
कोर्ट ने कहा कि ये गंभीर मामला है और रातों-रात हल नहीं निकाला जा सकता. इसलिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को छह महीने का वक्त दिया है ताकि इन योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू कर सकें. वहीं केंद्र की ओर से AG केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना से 12 करोड़ में से 5.34 करोड़ किसान जोड़े गए हैं, जोकि 40 फीसदी है. किसानों को इन योजनाओं के बारे में विभिन्न स्तर पर जानकारी दी जा रही है. यहां तक कि पंचायत स्तर पर भी योजनाओं का प्रचार किया जा रहा है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि किसानों की खुदकुशी और उनकी फसल के बीमे को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं और भविष्य में क्या योजनाएं हैं?
दरअसल एक जनहित याचिका में गुजरात में किसानों की खुदकुशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट से दिशा निर्देश जारी करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को भी लागू नहीं किया जा रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट ने इसका दायरा बढ़ाते हुए सभी राज्यों और केंद्र सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा था.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं