सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केन्द्र सरकार से इस बात का जवाब मांगा कि क्या उसने विभिन्न सरकारों और अथॉरिटीज द्वारा दिए जाने वाले विज्ञापनों के नियमन के संबंध में इस अदालत द्वारा दिए गए फैसले का पालन करते हुए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है।
गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन द्वारा दायर याचिका पर केन्द्र को यह नोटिस जारी किया गया। संगठन का कहना था कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार और अन्नाद्रमुक द्वारा संचालित तमिलनाडु सरकार ने सार्वजनिक विज्ञापनों पर शीर्ष अदालत के दिशानिर्देशों की बेअदबी की है लिहाजा इनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने मई में अपने एक ऐतिहासिक फैसले में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और भारत के मुख्य न्यायाधीश को छोड़कर सरकारी विज्ञापनों में किसी नेता की तस्वीर प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और एन वी रामना की पीठ ने चार सप्ताह के भीतर केन्द्र से इस नोटिस का जवाब मांगते हुए कहा, 'हम भारत सरकार को नोटिस जारी करेंगे और इस संबंध में उनका जवाब मांगेंगे कि हमारे आदेश के अनुरूप तीन सदस्यीय निकाय का गठन किया गया है या नहीं और अगर नहीं किया गया तो ऐसा न करने के कारण बताइए।'