कहते हैं कि लहरों से डरने वाली किश्तियां पार नहीं लगतीं. अपराजिता चंदेल ने भी ठानी थी कि हार नहीं मानना है. अपने इसी जज्बे की बदौलत HPPSC की परीक्षा में चार बार नाकाम रहीं अपराजिता चंदेल इस बार शिखर पर पहुंच गईं. उन्होंने नौकरी करते हुए HPPSC की परीक्षा टॉप की, जिसके चर्चे हर तरफ हैं. अपराजिता का कहना है कि नाकामी की वजह से युवा कई बार जल्दी हौसला हार जाते हैं, लेकिन हथियार डालने की जगह उन्हें हमेशा सकारात्मक ऊर्जा के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए. ये जरूरी है कि इस दौरान आपका ध्यान किसी दूसरी दिशा में न बंटे.
अपराजिता आत्मविश्वास को ही सफलता की असली कुंजी मानती हैं. वह अपनी पिछली नाकामियों की वजह भी अपने आत्मविश्वास की कमी को मानती हैं. अपराजिता के मुताबिक प्रतिस्पर्धा उतनी मुश्किल नहीं है, जितना मुश्किल खुद को हर हालात में सहज और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ाना. वे बताती हैं कि ‘अपने दिल और दिमाग की सुनें फिर अपना रास्ता निर्धारित करें. यदि खुद पर यकीन रखते हुए लगन से कड़ी मेहनत की जाए तो किस्मत खुद आपका साथ देती है.आप जितना ज्यादा अभ्यास करते हैं, सफलता के चांस उतने ही बढ़ जाते हैं.
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