आज ही के दिन अवतरित हुई थी गंगा
वाराणसी:
हिन्दी पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन गंगा अवतरण हुआ था. लिहाजा तब से इस तिथि को गंगा अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस साल इसी दिन 'नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा' ने गंगा स्वच्छता संकल्प दिवस मनाया. यह संकल्प गंगा के किनारे बसे 12 शहरों में किया गया. इसी कड़ी में वाराणसी में भी आज सुबह तुलसी घाट पर स्वयंसेवी संस्थाओं ने गंगा के घाट और गंगा की सफाई की बाद स्कूली बच्चों ने हाथ में तख्ती लेकर गंगा के घाटों पर जागरुकता जुलूस भी निकाला. गंगा के किनारे बसे जिन 12 जिलों में यह कार्यक्रम हुआ उनमें ऋषिकेश, हरिद्वार, श्रीनगर , देवप्रयाग , इलाहाबाद , वाराणसी , राज घाट ( हरदोई ) , बिठूर (कानपुर ), विठूर कुटी (बिजनौर), उन्नाव, गढ़मुक्तेश्वर ,अनूपशहर, नरोरा ,रूभी, भगवानपुर, पटना, सुल्तानगंज (भागलपुर) बेगूसराय , कोलकाता, हुगली, हावड़ा और साहिबगंज शामिल हैं.
मान्यता है कि राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों को तारने के लिए वर्षों की तपस्या के बाद गंगा को पृथ्वी पर अवतरित होने के लिए तैयार किया था. ब्रह्मा के कमण्डल से निकली गंगा की धारा को भगवान शंकर ने अपनी जटा में धारण किया था और फिर उनकी जटा से गंगा सप्तमी के दिन पृथ्वी पर आई थी. गंगा लोगों की आस्था की प्रतीक है. सतयुग से लेकर आज तक यह दिन गंगा अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है. धार्मिक नगरी वाराणसी में भी इस दिन गंगा की आराधना एवं दूध से अभिषेक किया जाएगा. वाराणसी के घाटों पर इस मौके पर साधू समाज एवं आम नागरिकों का बड़ा हुजूम नज़र आया.
मान्यता है कि राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों को तारने के लिए वर्षों की तपस्या के बाद गंगा को पृथ्वी पर अवतरित होने के लिए तैयार किया था. ब्रह्मा के कमण्डल से निकली गंगा की धारा को भगवान शंकर ने अपनी जटा में धारण किया था और फिर उनकी जटा से गंगा सप्तमी के दिन पृथ्वी पर आई थी. गंगा लोगों की आस्था की प्रतीक है. सतयुग से लेकर आज तक यह दिन गंगा अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है. धार्मिक नगरी वाराणसी में भी इस दिन गंगा की आराधना एवं दूध से अभिषेक किया जाएगा. वाराणसी के घाटों पर इस मौके पर साधू समाज एवं आम नागरिकों का बड़ा हुजूम नज़र आया.
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