
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद जीतन राम मांझी ने शनिवार को कहा कि उन्होंने नीतीश कुमार की 'पीठ में छुरा नहीं मारा, लेकिन नीतीश ने जरूर उन्हें 'कमीशनखोर बिचौलियों' के प्रभाव में आकर समय से पहले हटा दिया।
शुक्रवार को राजभवन में चौथी बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नीतीश को बधाई देते हुए किसी समय उनके विश्वासपात्र रहे मांझी ने कहा कि वह भी शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेंगे।
मांझी ने मीडिया से बातचीत के दौरान सीएम पद से इस्तीफा देने के अपने फैसले को सही बताते हुए कहा, मैंने नीतीश जी के खिलाफ बागी तेवर तभी अपनाए, जब लगा कि उनकी (नीतीश की) मंशा गरीब एवं दबे कुचले लोगों के लिए सिर्फ नारे देने की है।
उन्होंने कहा, नीतीश जी की तस्वीर अभी भी मेरे कमरे में लगी हुई है। वह तस्वीर हमें वंचित एवं गरीबों की समस्याओं के लिए अभियान छेड़ने की याद दिलाती है। लेकिन मेरे मन में उनके लिए अब आदरभाव तभी उत्पन्न होगा, जब वे गरीबों एवं दबे-कुचलों के लिए बने एजेंडों को मूर्त रूप देंगे।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति, पांच एकड़ तक भूमि रखने वाले किसानों को सिंचाई के लिए बिजली मुफ्त देने, साइकिल और पोशाक योजना का लाभ पाने के लिए छात्र-छात्राओं के लिए 75 प्रतिशत अनिवार्य उपस्थिति को कम करने सहित मांझी ने अपने कार्यकाल में लिए गए अन्य फैसलों का उल्लेख करते हुए कहा, यदि नीतीश जी मेरे द्वारा गरीबों एवं दबे कुचलों के लिए तय किए गए एजेंडों को पूरा करते हैं, तो मैं उनका धन्यवाद करूंगा। ऐसा नहीं होने पर उन्हें बेनकाब करने के लिए जनता के बीच जाऊंगा।
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