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This Article is From Oct 02, 2020

महात्मा गांधी-लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर सोनिया गांधी का किसान बिल को लेकर मोदी सरकार पर निशाना

सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने कहा, 'मेरे प्यारे कांग्रेस के साथियों व किसान-मजदूर भाईयों और बहनों, आज किसानों, मजदूरों और मेहनतकशों के सबसे बड़े हमदर्द, महात्मा गांधी जी की जयंती है.'

महात्मा गांधी-लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर सोनिया गांधी का किसान बिल को लेकर मोदी सरकार पर निशाना
सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा.
नई दिल्ली:

आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi Jayanti) और देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri Jayanti) की जयंती मना रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज सुबह राजघाट जाकर बापू और विजय घाट जाकर लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने भी देश की दो महान विभूतियों को उनकी जयंती पर नमन करते हुए कहा, 'मेरे प्यारे कांग्रेस के साथियों व किसान-मजदूर भाईयों और बहनों, आज किसानों, मजदूरों और मेहनतकशों के सबसे बड़े हमदर्द, महात्मा गांधी जी की जयंती है. गांधी जी कहते थे कि भारत की आत्मा भारत के गांव, खेत और खलिहान में बसती है. आज ‘जय जवान, जय किसान' का नारा देने वाले हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती भी है.'

सोनिया गांधी ने कहा, 'आज देश का किसान और खेती करने वाले मजदूर कृषि विरोधी तीनों काले कानूनों के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं. अपना खून पसीना देकर देश के लिए अनाज उगाने वाले अन्नदाता किसान को मोदी सरकार खून के आंसू रुला रही है. कोरोना महामारी के दौरान हम सबने सरकार से मांग की थी कि हर जरूरतमंद देशवासी को मुफ्त में अनाज मिलना चाहिए, तो क्या हमारे किसान भाइयों के बगैर ये संभव था कि हम करोड़ों लोगों के लिए दो वक्त के भोजन का प्रबंध कर सकते थे.'

उन्होंने आगे कहा, 'आज देश के प्रधानमंत्री हमारे अन्नदाता किसानों पर घोर अन्याय कर रहे हैं. उनके साथ नाइंसाफी कर रहे हैं, जो किसानों के लिए कानून बनाए गए, उनके बारे में उनसे सलाह-मशविरा तक नहीं किया गया. बात तक नहीं की गई. यही नहीं, उनके हितों को नजरअंदाज करके सिर्फ चंद दोस्तों से बात करके किसान विरोधी तीन काले कानून बना दिए गए. जब संसद में भी कानून बनाते वक्त किसान की आवाज नहीं सुनी गई, तो वे अपनी बात शांतिपूर्वक रखने के लिए महात्मा गांधी जी के रास्ते पर चलते हुए मजबूरी में सड़कों पर आए. लोकतंत्र विरोधी, जन विरोधी सरकार द्वारा उनकी बात सुनना तो दूर, उन पर लाठियां बरसाईं गईं.'

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उन्होंने कहा, 'भाइयों और बहनों, हमारे किसान और खेत मजदूर भाई-बहन आखिर चाहते क्या हैं, सिर्फ इन कानूनों में अपनी मेहनत की उपज का सही दाम चाहते हैं और ये उनका बुनियादी अधिकार है. आज जब अनाज मंडियां खत्म कर दी जाएंगी. जमाखोरों को अनाज जमा करने की खुली छूट दी जाएगी और किसान भाइयों की जमीनें खेती के लिए पूंजीपतियों को सौंप दी जाएंगी, तो करोड़ों छोटे किसानों की रक्षा कौन करेगा. किसानों के साथ ही खेत-मज़दूरों और बटाईदारों का भविष्य जुड़ा है. अनाज मंडियों में काम करने वाले छोटे दुकानदारों और मंडी मजदूरों का क्या होगा. उनके अधिकारों की रक्षा कौन करेगा. क्या मोदी सरकार ने इस बारे सोचा है.'

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कांग्रेस अध्यक्षा ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी ने हमेशा हर कानून जन सहमति से ही बनाया है. कानून बनाने से पहले लोगों के हितों को सबसे ऊपर रखा है. लोकतंत्र के मायने भी यही हैं कि देश के हर निर्णय में देशवासियों की सहमति हो लेकिन क्या मोदी सरकार इसे मानती है. शायद मोदी सरकार को याद नहीं है कि वो किसानों के हक के 'भूमि के उचित मुआवजा कानून' को आर्डिनेंस के माध्यम से भी बदल नहीं पाई थी. तीन काले कानूनों के खिलाफ भी कांग्रेस पार्टी संघर्ष करती रहेगी. आज हमारे कार्यकर्ता हर विधानसभा क्षेत्र में किसान और मजदूर के पक्ष में आंदोलन कर रहे हैं. मैं दावे के साथ कहना चाहती हूं कि किसान और कांग्रेस का यह आंदोलन सफल होगा और किसान भाइयों की जीत होगी. जय हिंद.'

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