
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (फाइल तस्वीर)
नई दिल्ली:
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एकजुट, विविधता भरे और समतावादी भारत के संरक्षण में इंदिरा गांधी के त्याग की सराहना करते हुए कहा कि महान बनने की खातिर शॉर्टकट अपनाने की कोशिश में कुछ नेता देश के राष्ट्रीय चरित्र की नींव को ही कमजोर करना चाह रहे हैं.
इंदिरा गांधी जन्मशती व्याख्यान में अपने स्वागत संबोधन में सोनिया ने कहा कि उन्होंने इंदिरा से भारत, इसकी संस्कृति और इसके मूल्यों के साथ-साथ अपने शुरुआती राजनीतिक पाठ भी सीखे.
सोनिया ने कहा, 'एक एकजुट, विविधता भरे और समतावादी भारत के संरक्षण में उनका त्याग हमेशा याद किया जाएगा. खासकर ऐसे समय में जब महान बनने की खातिर शॉर्टकट अपनाने की कोशिश करते हम ऐसे नेताओं को पाते हैं, जो हमारे राष्ट्रीय चरित्र की नींव को ही कमजोर करना चाह रहे हैं.'
21वीं सदी के विश्व में भारत के लिए इंदिरा गांधी के विजन को याद करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वह भारत की बहुलवादी विविधता की कीमत पर कोई आत्माहीन विजन नहीं था. सोनिया ने कहा, 'उन्होंने (इंदिरा गांधी) एक ऐसा भारत देखा जो आंखें मूंदकर पश्चिमी जगत के रास्तों पर नहीं चलता है.
उन्होंने इसे अपने लोकतांत्रिक एवं सांस्कृतिक आदर्शों द्वारा निर्देशित अपने भविष्य को आकार देते देखा. जहां और लोग नाकाम हो गए, वहां वह भारत को दुनिया को राह दिखाते देखना चाहती थीं. इससे उनका मिशन दोगुना चुनौतीपूर्ण हो गया, लेकिन इंदिरा गांधी ऐसी महिला नहीं थीं, जो चुनौतियों से डर जाए.'
सोनिया ने कहा, 'जब इंदिरा गांधी बोलती थीं तो वह सभी भारतीयों, सभी धर्मों, क्षेत्रों एवं पृष्ठभूमियों के पुरुषों एवं महिलाओं के लिए बोलती थीं। कोई भी भाषा बाधा नहीं थी. उन्होंने हमारे लोगों के बीच विभाजन और संकट पैदा करने वाली ताकतों से लड़कर हमारी असीम विविधता पर गर्व किया.'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इंदिरा गांधी जन्मशती व्याख्यान में अपने स्वागत संबोधन में सोनिया ने कहा कि उन्होंने इंदिरा से भारत, इसकी संस्कृति और इसके मूल्यों के साथ-साथ अपने शुरुआती राजनीतिक पाठ भी सीखे.
सोनिया ने कहा, 'एक एकजुट, विविधता भरे और समतावादी भारत के संरक्षण में उनका त्याग हमेशा याद किया जाएगा. खासकर ऐसे समय में जब महान बनने की खातिर शॉर्टकट अपनाने की कोशिश करते हम ऐसे नेताओं को पाते हैं, जो हमारे राष्ट्रीय चरित्र की नींव को ही कमजोर करना चाह रहे हैं.'
21वीं सदी के विश्व में भारत के लिए इंदिरा गांधी के विजन को याद करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वह भारत की बहुलवादी विविधता की कीमत पर कोई आत्माहीन विजन नहीं था. सोनिया ने कहा, 'उन्होंने (इंदिरा गांधी) एक ऐसा भारत देखा जो आंखें मूंदकर पश्चिमी जगत के रास्तों पर नहीं चलता है.
उन्होंने इसे अपने लोकतांत्रिक एवं सांस्कृतिक आदर्शों द्वारा निर्देशित अपने भविष्य को आकार देते देखा. जहां और लोग नाकाम हो गए, वहां वह भारत को दुनिया को राह दिखाते देखना चाहती थीं. इससे उनका मिशन दोगुना चुनौतीपूर्ण हो गया, लेकिन इंदिरा गांधी ऐसी महिला नहीं थीं, जो चुनौतियों से डर जाए.'
सोनिया ने कहा, 'जब इंदिरा गांधी बोलती थीं तो वह सभी भारतीयों, सभी धर्मों, क्षेत्रों एवं पृष्ठभूमियों के पुरुषों एवं महिलाओं के लिए बोलती थीं। कोई भी भाषा बाधा नहीं थी. उन्होंने हमारे लोगों के बीच विभाजन और संकट पैदा करने वाली ताकतों से लड़कर हमारी असीम विविधता पर गर्व किया.'
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