प्रतीकात्मक तस्वीर.
मुंबई:
सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में आरोपी पुलिसकर्मी ने बुधवार को मुंबई की सीबीआई विशेष अदालत में बताया कि एनकाउंटर की कहानी को सही बताने के लिए सीनियर्स ने मुझ पर दबाव बनाया था. आरोपी पुलिसकर्मी अब्दुल रहमान ने मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में बताया, 'इस मामले को सही बताने के लिए मेरे सीनियर्स ने मुझ पर दबाव बनाया था. इसके बारे में सीआईडी और सीबीआई को भी बताया था.' बता दें, मंगलवार को अब्दुल रहमान ने कोर्ट को बताया था कि मेरे नाम से जो एफआईआर बनाई गई थी, वो फर्जी थी किसी और ने मेरे नाम से लिखी थी. रहमान ने बताया कि एफआईआर गुजराती में लिखी हुई थी और मुझे गुजराती भाषा आती ही नहीं है.
इसके साथ ही रहमान ने कोर्ट में बयान दर्ज करवाते हुए कहा, 'इस केस का जो मकसद बताया जा रहा है 'पॉलिटिकल और मॉनिटरी गेन' उससे मेरा कोई संबंध नहीं है. इस केस में जो भी राजनेता और व्यापारी आरोपी हैं, उनसे मेरा कोई संबंध नहीं है. इसमें न तो सीआईडी और न ही सीबीआई ने निष्पक्ष जांच की. सभी ने अपने एजेंडे के तहत जांच की. सीआईडी हो या सीबीआई दोनों ने तटस्थ जांच करने की बजाय पहले वाले जांच अधिकारी को ही आरोपी बनाया.'
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बता दें, सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति मुठभेड़ मामले में गवाहों के बयान खत्म होने के बाद कोर्ट में आरोपी पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज करने शुरू हुए थे. सोमवार को गुजरात के पुलिस इंस्पेक्टर एनएच डाबी का बयान दर्ज हुआ था. इसके बाद मंगलवार को छह पुलिस वालों के बयान दर्ज हुए थे. खास बात यह है कि सभी आरोपियों ने खुद को निर्दोष बताया है और इस पूरे मामले को पुलिस-पॉलिटिकल झगड़े का नतीजा बताया है. मामले में अब कुल 22 आरोपी ही बचे हैं. अदालत में सभी को तकरीबन 400 सवालों का सेट दिया गया था. जिनका उन्हें हां या ना और विस्तार से जवाब देना था. मंगलवार को राजस्थान पुलिस के आरोपी उप निरीक्षक हिमान्शु सिंह राजावत और श्याम सिंह का बयान दर्ज हुआ. साथ ही गुजरात पुलिस के डीएसपी एमएल परमार, डिप्टी एसपी बालकृष्ण चौबे, सिपाही अजय परमार और शांता शर्मा का भी बयान दर्ज हुआ.
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अपने बयान में आरोपियों ने खुद को फंसाए जाने का आरोप लगाया. राजस्थान के पुलिस उपनिरीक्षक हिमांशु सिंह राजावत पर आरोप है कि उसने सोहराबुद्दीन पर गोली चलाई थी, लेकिन हिमांशु ने कोर्ट में दावा किया कि वह निर्दोष हैं और उस समय की राजनीतिक परिस्थिति के शिकार हुए. गुजरात एटीएस के इंस्पेक्टर बालकृष्ण चौबे ने भी दावा कि वे उस ऑपेरशन का हिस्सा ही नहीं थे, बल्कि डेप्यूटेश पर यूनिट इंस्पेक्टर के मातहत कार्यरत थे. चौबे ने खुद को बड़े पुलिस अधिकारियों की राजनीति का शिकार बताया है.
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इसके साथ ही रहमान ने कोर्ट में बयान दर्ज करवाते हुए कहा, 'इस केस का जो मकसद बताया जा रहा है 'पॉलिटिकल और मॉनिटरी गेन' उससे मेरा कोई संबंध नहीं है. इस केस में जो भी राजनेता और व्यापारी आरोपी हैं, उनसे मेरा कोई संबंध नहीं है. इसमें न तो सीआईडी और न ही सीबीआई ने निष्पक्ष जांच की. सभी ने अपने एजेंडे के तहत जांच की. सीआईडी हो या सीबीआई दोनों ने तटस्थ जांच करने की बजाय पहले वाले जांच अधिकारी को ही आरोपी बनाया.'
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