सोशल मीडिया लोकतंत्र के लिए खतरा; रेगुलेट करना जरूरी: ट्रंप को बैन किए जाने पर बीजेपी के तेजस्वी सूर्या

बीजेपी के सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा- सोशल मीडिया का लोगों के जीवन में हस्तक्षेप सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए चुनौती, यह एक वैश्विक सवाल है

नई दिल्ली:

ट्रंप (Trump) के ट्विटर (Twitter) अकाउंट हटाने और उनके सोशल मीडिया (Social Media) पर बैन होने पर बीजेपी के सांसद तेजस्वी सूर्या (Tejasvi Surya) ने ट्वीट करते हुए भारत में ऐसे लोगों को चेताया, जो आए दिन ट्विटर पर अनियंत्रित होकर ट्वीट करते रहते हैं. उन्होंने NDTV सो बातचीत में अपने ट्वीट को लेकर कुछ स्पष्टीकरण दिया. उन्होंने कार्यक्रम में कहा, “हम हिंसा का समर्थन नहीं करते हैं. न ही हम हिंसा को उचित ठहराते हैं. अमेरिका की संसद में जो भी कुछ हुआ कई देश उसकी निंदा कर चुके हैं. हम भी इसकी निंदा करते हैं.” उन्होंने ट्विटर, फेसबुक (Facebook) द्वारा उठाए गए कदम पर कहा, “बेहतर तभी होगा जब इसे रेगुलेट किया जाएगा.”

बेंगलुरु साउथ से भारतीय जनता पार्टी के सांसद और भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष और संसद की इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी की हाउस पैनल के सदस्य तेजस्वी सूर्या ने ट्रंप को ट्विटर पर बैन किए जाने पर अपने ट्वीट को लेकर कहा कि एनडीटीवी से कहा कि हम वायलेंस का जस्टिफिकेशन या समर्थन नहीं कर रहे  कैपिटल हिल में जो वायलेंस हुआ है उसके बारे में सभी लोग बोल चुके हैं हम सब उसकी कड़ी निंदा कर रहे हैं.  आज जो ट्रंप का ट्विटर पर परमानेंट बैन हो गया है, यह अलग चुनौती है. बिग टेक कंपनी ट्विटर, फेसबुक या इंस्टाग्राम के पास बहुत सारे लोगों का डेटा है. ये लोग गैरकानूनीन तरीके से किसी को बैन करते हैं. इस प्लेटफार्म पर बिना जवाबदेही के काम चल रहा है. इस प्लेटफार्म को रेगुलेट करने की जरूरत है.  

समस्या का समाधान लाना सरकार का काम है, क्या यह आपकी भी जिम्मेदारी नहीं है? इस सवाल पर तेजस्वी सूर्या ने कहा कि हर देश की सरकार को इस पर गंभीरता से चिंतन करना चाहिए. आज प्रजा प्रभुत्व और लोकतंत्र खतरे में है. भारत में फेसबुक, व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम, इन तीनों प्लेटफार्म को फेसबुक ओन करता है. तीनों को मिलाकर करीब 80 करोड़ भारतीयों का डेटा इन सबके पास है. किसी भी चैनल के पास इतना सारा डेटा नहीं है. डेटा होना ही एक तरह से उनकी बड़ी ताकत है. समस्या की जड़ यह है कि भारत में जो आईटी एक्ट है, सेक्शन 79 में इन सबको इंटरमीडियटरी के नाम पर परिभाषित किया गया है. वह इंटरमीडियटरी कंटेंट को सिर्फ मॉनिटर कर सकता है, लेकिन कंटेंट में आल्ट्रेशन या बदलाव लाना सेक्शन 79 के विरुद्ध है. सेक्शन 79 में जो इंडटमीडियटरी रूल्स हैं उनमें थोड़े-बहुत डिफरेंसेज हैं, जैसे इंटमीडियटरी परफार्म सरटेन ड्यूटी. मॉनीटर कंटेंट, रेगुलेट कंटेंट, यह जो एक्ट और रूल के बीच विरोधाभास है इसको हमें फिक्स करना है. इसको रेगुलेट करने के लिए एक रेगुलेटरी अथॉरिटी को स्थापित करना बहुत आवश्यक है.

सवाल कि,  क्या यह जरूरी है कि एक अच्छा रेगुलेटरी मैकेनिज्म लाया जाए?  पर तेजस्वी सूर्या ने कहा कि आज सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर या फेसबुक जज, ज्यूरी और एक्जूक्यूशनर तीनों का यही प्लेटफार्म काम कर रहे हैं. यह बहुत सारे कॉन्फ्लिक्ट्स ऑफ इंटरेस्ट को बढ़ा रहे हैं. इसलिए हमको एक इंडिपेंडेंट अथॉरिटी बहुत आवश्यक रूप से चाहिए. जैसे कोई नफरत फैलाने की बात हो तो आम जनता हो या सरकार हो, इस अथॉरिट को रिपोर्ट कर सके. अथॉरिटी स्वतंत्र और स्वायत्त हो और वह तय कर सके कि उसे क्या करना है. यदि लिटिगेशन हो तो कोर्ट में अपील करके इसके विरुद्ध जाया जा सकता है. जिनके पास इतना सारा डेटा है और यह प्राइवेट कंपनी जिसे मैनिकुलेट कर सकती हैं, यदि इन कंपनियों को रेगुलेट नहीं किया गया तो इनसे लोकतंत्र को बहुत बड़ा खतरा है. यह सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए चुनौती है. यह एक वैश्विक सवाल है.  

रेगुलेटरी बॉडी बनेगी तो सरकार तो अपने खिलाफ कार्रवाई करेगी नहीं, फिर कोई नतीजा कैसे निकलेगा? सवाल के उत्तर में तेजस्वी सूर्या ने कहा कि मैं बहुत स्पष्ट रूप से कह चुका हूं कि रेगुलेटरी अथॉरिटी ट्रिब्यूनल की तरह बहुत स्वतंत्र रूप से काम करने वाली होनी चाहिए. यह बिल्कुल ज्युडीशियरी या ट्रिब्यूनल की तरह होगी. इन बड़ी कंपनियों के पास जो डेटा है वह इसमें मैन्युकुलेट करके इसका इस्तेमाल लोकतंत्र में चुनाव, विज्ञापन में करते हुए हर व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकती हैं. यह बहुत खतरनाक है और इसे रेगुलेट करना बहुत जरूरी है. 

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व्हाट्सऐप कह रहा है कि आप इजाजत दो कि हम आपका डेटा देख लें और बिजनेस के लिए इस्तेमाल करें, इस पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया है?  तेजस्वी सूर्या ने कहा कि व्हाट्सऐप डेटा, यहां तक कि डीपी भी फेसबुक को दे रहा है और प्राइवेट कंपनियों को दे रहा है.