प्रतीकात्मक तस्वीर...
नई दिल्ली:
विशेषज्ञों का मानना है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा का चुनाव एक साथ कराने से राष्ट्रीय पार्टियों को लाभ होगा, लेकिन छोटे क्षेत्रीय पार्टियों की भूमिका गौण होगी, जो एक स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने कहा, 'चाहे इसे कोई माने या ना माने, बड़े राजनीतिक नेताओं और पार्टियों से जुड़ी लहर का कारक राज्य चुनावों के परिणाम को प्रभावित करता है. और इसलिए एक साथ चुनाव कराए जाने से राष्ट्रीय पार्टियों को लाभ होगा और छोटे क्षेत्रीय दलों के लिए मुश्किल होगी'.
उन्होंने कहा, 'एक संघीय संरचना वाले विविधतापूर्ण देश के रूप में एक साथ चुनाव कराने का विचार बहुत अच्छा नहीं है. जिस तरह के लोकतंत्र में हम लोग रह रहे हैं, उसमें छोटे दलों के उदय से मतदाताओं को चुनाव का एक विकल्प मिलता है'. वह कल शाम एसोसिएशन फॉर डेमोकेट्रिक रिफार्मस (एडीआर) द्वारा यहां पर आयोजित 'एक साथ चुनाव : संभावना और चुनौतियां' विषय पर आयोजित एक सामूहिक परिचर्चा में बोल रहे थे.
स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटी (सीएसडीएस) के निदेशक संजय कुमार ने कहा, 'एक साथ चुनाव कराए जाने से बड़े राजनीतिक दलों को ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है और छोटे क्षेत्रीय दलों की भूमिका गौण हो जाएगी'. भाजपा का मत है कि पंचायत चुनाव से लेकर संसद तक का चुनाव एक साथ कराया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया है.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी एक ऐसी प्रणाली बनाने की बात की है, जिससे राजनीतिक और प्रशासनिक स्थायित्व सुनिश्चित हो सके, क्योंकि लगातार चुनाव के कारण सरकार के नियमित कामकाज में बाधा आती है और इससे राजनीतिक दल किसी मुद्दे पर सामूहिक रूप से निर्णय ले सकती हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने कहा, 'चाहे इसे कोई माने या ना माने, बड़े राजनीतिक नेताओं और पार्टियों से जुड़ी लहर का कारक राज्य चुनावों के परिणाम को प्रभावित करता है. और इसलिए एक साथ चुनाव कराए जाने से राष्ट्रीय पार्टियों को लाभ होगा और छोटे क्षेत्रीय दलों के लिए मुश्किल होगी'.
उन्होंने कहा, 'एक संघीय संरचना वाले विविधतापूर्ण देश के रूप में एक साथ चुनाव कराने का विचार बहुत अच्छा नहीं है. जिस तरह के लोकतंत्र में हम लोग रह रहे हैं, उसमें छोटे दलों के उदय से मतदाताओं को चुनाव का एक विकल्प मिलता है'. वह कल शाम एसोसिएशन फॉर डेमोकेट्रिक रिफार्मस (एडीआर) द्वारा यहां पर आयोजित 'एक साथ चुनाव : संभावना और चुनौतियां' विषय पर आयोजित एक सामूहिक परिचर्चा में बोल रहे थे.
स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटी (सीएसडीएस) के निदेशक संजय कुमार ने कहा, 'एक साथ चुनाव कराए जाने से बड़े राजनीतिक दलों को ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है और छोटे क्षेत्रीय दलों की भूमिका गौण हो जाएगी'. भाजपा का मत है कि पंचायत चुनाव से लेकर संसद तक का चुनाव एक साथ कराया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया है.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी एक ऐसी प्रणाली बनाने की बात की है, जिससे राजनीतिक और प्रशासनिक स्थायित्व सुनिश्चित हो सके, क्योंकि लगातार चुनाव के कारण सरकार के नियमित कामकाज में बाधा आती है और इससे राजनीतिक दल किसी मुद्दे पर सामूहिक रूप से निर्णय ले सकती हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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