नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के प्रदूषण में कमी लाने के लिए 15 अप्रैल से ऑड-ईवन नियम का दूसरा चरण शुरू होगा। 30 अप्रैल तक इस नियम के तहत ऑड (विषम) संख्या वाली तारीख पर ऑड नंबर (अंतिम नंबर) वाली कार और ईवन (सम) संख्या वाली तारीख को ईवन नंबर वाली कार ही दिल्ली में चलाई जा सकती है।
ऑड ईवन वन की तरह ऑड ईवन पार्ट टू में भी महिलाओं को किसी भी दिन किसी भी नंबर की गाड़ी चलाने की छूट रहेगी। दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को इस बात का ऐलान किया।
गोपाल राय ने बताया कि इस बात पर बड़ा लंबा संवाद महिलाओं से और उनके अलग-अलग ग्रुप से चला जिसमें छूट जारी रखने और छूट हटाने को लेकर बहुत मज़बूत दलीलें रखी गईं लेकिन सीएम अरविंद केजरीवाल ने महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनज़र फैसला किया कि महिलाओं को ये छूट जारी रहेगी।
पिछली बार ऑड ईवन के दौरान स्कूल बंद थे, इस बार खुले रहेंगे। इसलिए जिस निजी कार में स्कूल ड्रेस में बच्चे हों उनको छूट मिलेगी। ये ऐलान खुद दिल्ली के डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दोपहर 3 बजे ट्वीट करके किया।
उन्होंने ट्वीट में लिखा कि "स्कूल ड्रेस में बच्चों को ले जा रही कार को ऑड ईवन में छूट मिलेगी।" लेकिन इसको लेकर उठे गंभीर सवाल में शायद सरकार खुद फंस गई इसलिये मीडिया के सवाल से पहले सरकार ने ही सवाल खड़े किये और परिवहन मंत्री ने कहा कि "सरकार ऐसा चाहती है कि स्कूल ड्रेस में बच्चे को ले जा रही कार को छूट मिले लेकिन अगर कोई बच्चे को स्कूल छोड़कर आ रहा होगा या दोपहर में लेने जा रहा होगा तो इसकी क्या व्यवस्था होगी इसका जवाब अभी खोजने की ज़रूरत है, 1-2 दिन में विचार करेंगे और बताएंगे।"
अब ऑड ईवन पार्ट टू में सबसे बड़ा सवाल यही बन गया है कि सरकार ये कैसे तय करेगी कि कौन वाकई में स्कूली बच्चे को ले जाने में लगा है और कौन बस यूं ही झूठ बोल रहा है। खुद सरकार के लिए इसका जवाब आसान नहीं है इसलिए सरकार समय ले रही है।
वैसे सरकार ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि पिछली बार की ही तरह दो पहिया वाहन ऑड ईवन के दायरे से बाहर रहेंगे।
पहला चरण समाप्त होने के बाद दिल्ली सरकार ने कहा था कि इस नियम की समीक्षा करेगी और इसके बाद यह तय किया जाएगा कि दूसरे चरण में यह नियम किन शर्तों के साथ दोबारा लागू किया जाएगा।
सीआरआरआई का रिसर्च बताता है कि पहले चरण में लागू किए गए इस फॉर्मूले के दौरान दिल्ली की ट्रैफिक में 35% की कमी आई और एक आदमी का ट्रैवेल टाइम औसतन 15 मिनट तक घट गया। यही नहीं, संस्थान के ट्रांसपोर्टेशन प्लानिंग डिवीजन के प्रमुख साइंटिस्ट डॉ. इर्रामपल्ली मधु ने जानकारी दी कि शुरुआती सर्वे के मुताबिक करीब 10-20% लोग इस दौरान पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तरफ शिफ्ट हुए और 40% ने कारपूल का इस्तेमाल किया।