नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि शिक्षा का अधिकार संवैधानिक रूप से बिल्कुल सही है, और यह कानून सरकार अथवा स्थानीय संस्थाओं द्वारा संचालित सभी स्कूलों पर लागू होगा।
अपने अहम फैसले में शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि यह कानून उन सभी सहायताप्राप्त, निजी और अल्पसंख्यक स्कूलों पर लागू होगा, जो सरकार से सहायता प्राप्त करते हैं। जो स्कूल सरकारी सहायता नहीं लेते हैं, उनमें से यह कानून निजी स्कूलों पर लागू होगा, परन्तु अल्पसंख्यक संस्थानों पर नहीं।
उल्लेखनीय है कि निजी शिक्षण संस्थानों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल, सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 14 साल तक की उम्र के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की योजना शुरू की है, जिसके तहत स्कूलों को अपनी कम से कम 25 फीसदी सीटें गरीब परिवार के बच्चों के लिए आरक्षित रखनी होंगी। निजी शिक्षण संस्थानों का तर्क था कि इस कानून के जरिये सरकार उनके काम में दखल दे रही है, जो निजी शिक्षण संस्थानों के लिए बने कानून का उल्लंघन है। वहीं सरकार का कहना है कि इस कानून के जरिये आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल पाएगी।
अपने अहम फैसले में शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि यह कानून उन सभी सहायताप्राप्त, निजी और अल्पसंख्यक स्कूलों पर लागू होगा, जो सरकार से सहायता प्राप्त करते हैं। जो स्कूल सरकारी सहायता नहीं लेते हैं, उनमें से यह कानून निजी स्कूलों पर लागू होगा, परन्तु अल्पसंख्यक संस्थानों पर नहीं।
उल्लेखनीय है कि निजी शिक्षण संस्थानों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल, सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 14 साल तक की उम्र के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की योजना शुरू की है, जिसके तहत स्कूलों को अपनी कम से कम 25 फीसदी सीटें गरीब परिवार के बच्चों के लिए आरक्षित रखनी होंगी। निजी शिक्षण संस्थानों का तर्क था कि इस कानून के जरिये सरकार उनके काम में दखल दे रही है, जो निजी शिक्षण संस्थानों के लिए बने कानून का उल्लंघन है। वहीं सरकार का कहना है कि इस कानून के जरिये आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल पाएगी।
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