प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एक संगठन ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सुझाव दिया है कि स्कूलों में प्राथमिक से लेकर उच्च स्तर तक अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाया जाए तथा विदेशी भाषाओं को किसी भारतीय भाषा के विकल्प के तौर पर नहीं रखा जाए.
'शिक्षा संस्किृत उत्थान न्यास' ने शिक्षा के संदर्भ में मंत्रालय को कई दूसरे सुझाव भी दिए हैं. मसलन, आईआईटी, आईआईएम और एनआईटी जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में भारतीय भाषाओं में पढ़ाई के प्रबंध करने का सुझाव दिया गया है. उसने मंत्रालय से कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाते समय उसके सुझावों पर अमल किया जाए.
न्यास के सुझावों के अनुसार अंग्रेजी भाषा को संवाद और शिक्षा के माध्यम के तौर पर अनिवार्य नहीं बनाया जाए.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
'शिक्षा संस्किृत उत्थान न्यास' ने शिक्षा के संदर्भ में मंत्रालय को कई दूसरे सुझाव भी दिए हैं. मसलन, आईआईटी, आईआईएम और एनआईटी जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में भारतीय भाषाओं में पढ़ाई के प्रबंध करने का सुझाव दिया गया है. उसने मंत्रालय से कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाते समय उसके सुझावों पर अमल किया जाए.
न्यास के सुझावों के अनुसार अंग्रेजी भाषा को संवाद और शिक्षा के माध्यम के तौर पर अनिवार्य नहीं बनाया जाए.
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