विज्ञापन
This Article is From Jan 04, 2021

विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को राहत, अमेरिका प्रत्यर्पित नहीं किया जाएगा

WikiLeaks founder Julian Assange :अमेरिका के गोपनीय दस्तावेजों और कूटनीतिक संदेशों को सार्वजनिक करने के आऱोप में अमेरिका असांजे के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था, जिसके खिलाफ सुनवाई चल रही थी.

विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को राहत, अमेरिका प्रत्यर्पित नहीं किया जाएगा
Julian Assange को इससे पहले स्वीडन में दुष्कर्म के मामले में भी राहत मिल चुकी है.

विकीलीक्स संस्थापक जूलियन असांजे (WikiLeaks founder Julian Assange) को अमेरिका प्रत्यर्पित (US Extradition) नहीं किया जाएगा. ब्रिटेन की एक अदालत ने सोमवार को यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. अमेरिका के गोपनीय दस्तावेजों और कूटनीतिक संदेशों को सार्वजनिक करने के आऱोप में अमेरिका असांजे के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था, जिसके खिलाफ सुनवाई चल रही थी. असांजे को इससे पहले स्वीडन में दुष्कर्म के मामले में भी राहत मिल चुकी है. इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए असांजे ने कई साल ब्रिटेन स्थित इक्वेडोर के दूतावास में बिताए.

सेंट्रल लंदन  की डिस्ट्रिक्ट ओल्ड बैले कोर्ट की जज वैनिसा बैरियेस्टर ने यह बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया. जज ने कहा कि आशंका है कि जूलियन असांजे (Julian Assange)) आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम उठा सकते हैं और प्रत्यर्पण का आदेश उनके मानसिक उत्पीड़न जैसा होगा. महिला जज ने कहा, अगर असांजे को अमेरिका में हिरासत में लिया जाता है तो उसे बंदी के तौर बेहद कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ सकता है, उसके सामाजिक संपर्क खत्म हो जाएंगे और बाहर किसी से भी संपर्क करना उसके लिए मुश्किल होगा.

गहरे डिप्रेशन से गुजर रहे असांजे 
गहरे डिप्रेशन के कारण आत्महत्या करने के खतरे की दलील को उन्होंने सही माना. प्रत्यर्पण की याचिका खारिज हो जाने के बाद असांजे की ओर से जमानत की अपील दायर की जा सकती है.अदालती फैसले के बाद 49 वर्षीय असांजे माथे से पसीना पोंछते नजर आए. जबकि उनकी प्रेमिका स्टेला मॉरिस रो पड़ीं. विकीलीक्स (WikiLeaks) के एडिटर इन चीफ क्रिस्टीन राफेन्सन ने गले लगाकर उन्हें संभाला. कोर्ट के बाहर जमा असांजे के समर्थक भी फैसला सुनकर झूम उठे. हालांकि अमेरिकी और ब्रिटिश सरकार निचली अदालत के इस निर्णय के खिलाफ अपील कर सकती है.

प्रत्यर्पण की कोशिश में अमेरिकी सरकार
यह मामला लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियों में रहा है.अमेरिकी सरकार खुफिया दस्तावेजों की जासूसी के आरोप में असांजे का प्रत्यर्पण चाहती थी. इस मामले में उन्हें मौत की सजा तक हो सकती थी. गौरतलब है कि अमेरिकी सरकार औऱ दूतावासों के बीच खुफिया संदेशों के लीक होने से दुनिया भर में भूचाल आ गया था. साथ ही अमेरिकी सरकार की किरकिरी भी हुआ, जिस पर मित्र देशों के नेताओं की भी जासूसी कराने का आरोप लगा.

10 साल से कानूनी लड़ाई झेल रहे
असांजे को 2010 में रेप के मामले में स्वीडन के अनुरोध पर लंदन में गिरफ्तार किया गया था. स्वीडन सरकार दो महिलाओं ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर असांजे से पूछताछ करना चाहता थी. हालांकि स्वीडन प्रत्यर्पित किए जाने से बचने के लिए असांजे 2012 में लंदन में इक्वेडोर के दूतावास में शरण ली थी. अप्रैल 2019 में दूतावास से बाहर आने पर ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें जमानत लेकर भागने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com