सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक बेहद अहम फैसले में कहा कि वाहन की छत पर लाल बत्ती का उपयोग केवल उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के वाहनों पर ही किया जाएगा, और नीली बत्ती का उपयोग आपात सेवाओं, जैसे एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस के वाहनों के लिए किया जाना चाहिए। इनके अतिरिक्त सेना तथा अन्य आपातकालीन सेवाओं के वाहनों को भी नीली बत्ती लगाने की इजाज़त होगी।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने निर्देश में यह भी कहा कि लाल बत्ती के साथ किसी भी परिस्थिति में सायरन का प्रयोग नहीं किया जा सकेगा, लेकिन नीली बत्ती इस्तेमाल करने वाले आपात सेवाओं और पुलिस के वाहनों द्वारा सायरन का प्रयोग किया जा सकेगा, लेकिन उन्हें भी ध्यान रखना होगा कि सायरन की आवाज़ अनावश्यक रूप से कठोर और तीखी नहीं होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि संवैधानिक पदों में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्यपाल, भारत के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश तथा संसद के दोनों सदनों के अध्यक्ष शामिल होते हैं, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस मसले पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से तीन महीने के भीतर उन पदों की सूची पेश करने के लिए कहा है, जिन्हें वे लाल बत्ती लगे वाहनों के उपयोग के लिए अधिकृत करना चाहती हैं। हालांकि सूची मांगने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को चेताया है कि वे अपनी मर्ज़ी से इस सूची को बढ़ा नहीं सकते। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि उसके निर्देश का उल्लंघन करने पर कड़ा जुर्माना लगाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि पुलिस बिना भय और पक्षपात के मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों को लागू करे।
अब इस आदेश में स्पष्ट रूप से उच्च संवैधानिक पदों को ही लाल बत्ती के लिए अधिकृत किए जाने के बाद सांसदों तथा विधायकों जैसे लोग संभवतः अपनी कारों पर लाल बत्ती नहीं लगा सकेंगे।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं